आईसेक्ट विश्वविद्यालय में राजभाषा सप्ताह के समापन समारोह का आयोजन

हजारीबाग। हिंदी दिवस के मौके पर आईसेक्ट विश्वविद्यालय, हजारीबाग के तरबा-खरबा स्थित मुख्य कैंपस सभागार में विश्वविद्यालय के एनएसएस इकाई व सांस्कृतिक विभाग के बैनर तले बुधवार को हर्षोल्लास से हिंदी दिवस मनाया गया। इसके साथ ही पिछले एक सप्ताह से चल रहे राज भाषा सप्ताह का भी समापन, समारोह आयोजित कर किया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीके नायक, कुलसचिव डॉ मुनीष गोविंद, डीन एकेडमिक डॉ बिनोद कुमार, डॉ रूद्र नारायण व डॉ अरविंद कुमार के हाथों दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई। उसके बाद विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों नूरी, तृशा, अंजलि, खुशी, संजू, नीतू व संध्या के सुरीले स्वागत गान ने अतिथियों व मौजूद लोगों का मन मोह लिया। मौके पर स्वागत भाषण के दौरान कार्यक्रम की संयोजिका डॉ रोजीकांत ने हिंदी की अहमियत से मौजूद लोगों को रूबरू कराते हुए कहा कि हिंदी, भारत माता की बिंदी है और इस पर तमाम भारत वासियों को गर्व है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीके नायक ने हिंदी को भारतीय संस्कृति का दर्पण बताया और कहा कि हिंदी आज़ादी के आंदोलन की भाषा थी। इसलिए कहा जा सकता है कि देश की स्वतंत्रता में हिंदी भाषा का योगदान अतुलनीय है। उन्होंने हिंदी को संस्कारों की भाषा बताते हुए, इस भाषा के प्रति लोगों से निरंतर समर्पण बनाए रखने की अपील की ताकि आने वाले समय में हिंदी भी विश्व की भाषा बन सके। वहीं आईसेक्ट विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ मुनीष गोविंद ने कहा कि हिंदी भारत की आत्मा है, इसलिए इसका विकास किया जाना आवश्यक है। इतना ही नहीं बल्कि यह भाषा हमारी प्रगति में भी सहायक है, क्योंकि यह व्यक्तित्व के विकास में भी अहम भूमिका अदा करता है। उन्होंने हिंदी की अहमियत का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति महात्मा गांधी की बातों को याद करते हुए कहा कि बापू ने कहा था कि राष्ट्र भाषा के बिना राष्ट्र गुंगा है। आज बापू की इन बातों को याद रखने और हिंदी को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। डीन एकेडमिक डॉ बिनोद कुमार ने भी मौके पर संबोधित किया और हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य बताया। उन्होंने कहा कि हिंदी दिवस मनाने के पीछे की सबसे बड़ी वजह इस भाषा के प्रचार प्रसार के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करना है। इस बीच राजभाषा सप्ताह के दौरान विश्वविद्यालय में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। *इन विद्यार्थियों को किया गया पुरस्कृत* स्वरचित कविता में विवेक कुमार, इतिहास विभाग को प्रथम, खुशी कुमारी, इतिहास विभाग को द्वितीय व राजनंदन किस्कु, गणित विभाग तृतीय पुरस्कार दिया गया। निबंध व भाषण प्रतियोगिता में अंग्रेजी विभाग की श्रुति झा को प्रथम, कृषि विभाग की अर्पिता कुमारी को द्वितीय व कृषि विभाग की ही साक्षी को तृतीय पुरस्कार प्राप्त हुआ। गायन में नीरज, कृषि विभाग, खुशी, इतिहास विभाग व सचिन, इतिहास विभाग को प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। नृत्य के लिए कृषि विभाग की संध्या कुमारी को प्रथम जबकि कृषि विभाग के ही सुधी श्रीवास्तव को द्वितीय पुरस्कार से नवाजा गया। जबकि नाटक में नूरी, तृशा और अंजलि को पुरस्कृत किया गया। इस दौरान आईसेक्ट विश्वविद्यालय के प्राध्यापक-प्राध्यापिकाओं व कर्मियों ने भी स्वरचित कविता पेश की। स्वरचित कविता पेश करने वालों में प्रीति वर्मा, डॉ रवि रंजन, आरती कुमारी, सबिता, फिरदौस शहनाज़ व डॉ राज कुमार के नाम शामिल हैं, जिन्हें विश्वविद्यालय की ओर से सम्मानित किया गया। मौके पर विश्वविद्यालय के सभी प्राध्यापक-प्राध्यापिकाओं व कर्मियों के साथ साथ बड़ी संख्या में विद्यार्थी मौजूद थे।

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