….. आकाश शर्मा …. रामगढ़ : कोरोना संकट से उबरने को बेताब स्कूलों ने पैसे के जुगाड़ के लिए ऑनलाइन कक्षा आरम्भ कर दी।इसमे बच्चो का भलाई कम अपनी रोजी रोजगार बचाने की जद्दोजहद ज्यादा लगती है ।कल तक तोता की तरह पढ़ाते थे मोबाइल खतरनाक है,उपयोग ना करें।अभिभावकों से अपील बच्चो को मोबाइल ना दे । अब उलट हर दिन 5वर्ष से 15 वर्ष के बच्चो को app के जरिये 2 से 3 घंटे तक मोबाइल में पढ़ा रहे ।आंखे टिकी हुई ,छोटे अक्षरों को बच्चे उतार रहे । इससे आंख, गर्दन,पीठ में दर्द की शिकायत बच्चे करना शुरू कर रहे हैं । जो आगे खतरनाक हो सकता है ।अभिभावकों ,स्कूलों के प्रबंधन को मंथन की जरूरत हैं। बच्चो के स्वास्थ से जुड़े लोग,बिभाग को भी मंथन कर इस पर रोक लगाने की पहल करनी चाहिए ।ऐसी हड़बड़ी शिक्षा में क्या है की ताबड़तोड़ कक्षा लेनी पड़ रही जबकी पुस्तक कॉपी,पेन,पेंसिल नदारत है।इसके बिकल्प पर चिंतन होना चाहिए। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को भी संज्ञान लेना चाहिए और सरकार तक बात जाय काम से कम बच्चो के स्वस्थ से खिलवाड़ तो न हो।सरकार ,अधिकारी संज्ञान ले। अभिभावकों से अपील अपने लाडलो को स्वस्थ रखने की चिंता करे और इन कक्षा को बंद करने की अपील करे। मित्रो से इस पर चर्चा की अपेक्षा, कोरोना से शिक्षा जगत में बदलाव, स्कूल चलो अभियान के बदले अब घर में ही पढ़े ऑनलाइन ।। शिक्षा जगत को एक छलांग दे जाएगा कोरोना बंदी, शिक्षा विभाग का नारा बदला ।। स्कूल चले हम की जगह अब पढ़े ऑनलाइन । रामगढ़ में ऑनलाइन शिक्षा का बढ़ा क्रेज ।। रामगढ़ में ऑनलाइन शिक्षा बना रही जगह, लेकिन चुनौतियां भी है भरपूर ।। बड़ी विपत्ति में अक्सर कई बार बड़े सुधार का आधार तैयार होता है, शिक्षा के लिए कोरोना वायरस के दौर को कुछ इसी तरह देखा जा रहा है । तात्कालिक तौर पर जरूर कोरोना ने स्कूली व उच्च शिक्षा के लिए परेशानी खड़ी की है, लेकिन जिस तरह धीरे-धीरे चलो स्कूल से पढ़ो ऑनलाइन की ओर बढ़ रहा है उसे शिक्षा जगत सुखद मान रहा है, क्योंकि जिसे लेकर भविष्य के सपने बुने जा रहे थे उसके उसने दस्तक दे दी है ।। भारत में ऑनलाइन शिक्षा की जरूरत है । क्योंकि देश में अब भी एक बड़ी आबादी ऐसी है, जो गरीब होने के साथ अच्छी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की पहुंच से दूर है। ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा के जरिए अब वह भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हासिल कर सकेगी ऑनलाइन शिक्षा से जुड़े लोगों की माने तो देश में ऑनलाइन शिक्षा को आगे बढ़ाने का मकसद ही यही था कि सभी लोगों तक शिक्षा आसानी से पहुंच सके । इस संबंध में महिला कॉलेज रामगढ़ के प्रोफेसर संजय सिंह ने कहा कि शिक्षा जगत में खासकर कोरोना महामारी के दौर में भारत सरकार हो या राज्य सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है, वह काबिले तारीफ है । कुछ कठिनाइयों को देखते हुए खासकर गांव देहात क्षेत्र में कठिनाई जरूर है , लेकिन भारत सरकार के प्रयास सराहनीय ।। बहरहाल आज भी यह सवाल खड़ा है कि क्या आमने-सामने गुरु शिष्य की पढ़ाई का विकल्प ऑनलाइन बन सकता है, क्या बच्चों की जिज्ञासा शांत हो सकती है, भारत जैसे देश में जहां बिजली से लेकर इंटरनेट तक की उपलब्धता और स्पीड हमेशा सवालों के घेरे में है । वहां क्या ऑनलाइन का विकल्प उचित है ऐसे में कई सवाल हो सकते हैं । वैसे भी शिक्षा से जुड़े करीब 25 करोड़ और करीब आठ करोड़ बच्चों को ऑनलाइन से जुड़ना बड़ी चुनौती है, लोगों को याद होगा कि एक समय वहां परीक्षाएं सब पुस्तक है कराई जाती थी, लेकिन इनमें वही बच्चा बेहतर कर पाता था जिसने पढ़ाई की होती थी अन्यथा किताब होते हुए भी वह सही जवाब नहीं दे पाता था अब ऑनलाइन परीक्षा भी विकल्प है जो भी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी जैसी संस्थाएं करा रही है । स्कूलों में बदलना होगा शिक्षण का स्वरूप, विशेषज्ञों की मानें तो स्कूलों को आने वाले दिनों में अपने स्वरूप को बदलना होगा । इस संबंध में जुबली कॉलेज शिक्षाविद् प्रोफेसर आलोक सिंह ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा उचित व्यवस्था है, लेकिन इसके लिए संपूर्ण भारत में सभी क्षेत्रों को तैयार नहीं किया है । मेरे समझ से वह तैयारी होनी चाहिए । हमारे यहां जो ग्रामीण क्षेत्र है, वहां इंटरनेट की सुविधा नहीं है सुदूर पहाड़ी क्षेत्र में इंटरनेट नहीं है । वहां सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के ग्रामीणों ने थोड़ी इसके लिए तैयार करना होगा । जिले में संचालित सरकारी स्कूलों में कभी सुबह से ही चहल-पहल दिखाई देती थी, आज ऑनलाइन में सिर्फ स्कूल भवन ही दिखाई दे रही है वह भी सन्नाटा । नई तकनीक से छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, यह पढ़ाई कितना कारगर होगा यह तो भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है । हां यह तो जरूर हुआ कि स्थिति अब पूरी तरह नहीं रहेगी हालात बदले बदले नजर आएंगे । सरकार के पैसे का दुरुपयोग संभव नहीं होगा सकती है, बड़े-बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर रख रखाव स्कूल गेट सहित कई चीजों पर रोक लग सकती है ताकि इस राशि का उपयोग और अन्य कार्यों में किया जा सके । जिले में संचालित 587 सरकारी स्कूलों के साथ 30 निजी स्कूलों में ऑनलाइन की सुविधा है ।।- निजी स्कूलों में तो यह सुविधा पहले ही चालू कर दिया गया है, ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करने से बच्चे मोबाइल, स्मार्टफोन के जरिए पाठ्यक्रम को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं । बच्चे भी ऑनलाइन मोबाइल के जरिए पढ़ाई करने में काफी गर्व महसूस कर रहे हैं । वहीं सरकारी स्कूलों के बच्चों ऑनलाइन के लिए तैयार नहीं थे । नयी तकनीक अचानक आने से ऑनलाइन पढ़ाई में परेशानी हो रही है । कक्षाओं का अलग-अलग व्हाट्सएप ग्रुप, दीक्षा ऐप, जूम ऐप, यूट्यूब, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, वॉइस कॉन्फ्रेंसिंग आदि अन्य विभिन्न के माध्यम से प्रतिदिन अलग-अलग विषयों में छात्र-छात्राओं को सामग्री भेजी जा रही है । इस संबंध में प्रकाश मिश्रा ने कहा कि जब कोई आपदा आती है, तब उसका विकल्प ढूंढा जाता है ।आज जो कोरोना महामारी आया है उसको लेकर ऑनलाइन शिक्षा शुरू किया गया है जो सही प्रतीत होता है। मगर इसमें कुछ कमी रह गई है, ऐसे लोग जिनके पास मोबाइल और इंटरनेट की सुविधा नहीं है उनके लिए ऑनलाइन शिक्षा परेशानी है । प्रकाश मिश्रा, सांसद प्रतिनिधि , हजारीबाग लोकसभा ।। .. ऑनलाइन शिक्षा बदलते दौर के लिए एक विकल्प के रूप में तलाशा जा रहा है, खास करके भारत की बढ़ती आबादी को पूरा करने के लिए पूर्व से ऑनलाइन शिक्षा पर जोर दिया जा रहा था ।हालांकि देखना है कि आने वाले दिनों में यह कितना कारगर साबित होगा ।।
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