इस इमारत को पीसी रॉय चौधरी के “हजारीबाग पुराने रिकॉर्ड्स” (1957) में रैट्रे (Rattray House) हाउस के रूप में संदर्भित किया जाता है, 1857 के विद्रोह के दौरान यहां पर तैनात सिख सैनिकों के कैप्टन थॉमस रट्रे (Thomas Rattray) की बटालियन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आप तीसरी तस्वीर में खिड़की के ऊपर लकड़ी के ढाल पर बटालियन की शिखा देख सकते हैं। पहले इस इमारत को लॉ कॉटेज के रूप में भी जाना जाता था। डीवीसी चौक पर स्थित इस इमारत को बोलचाल की भाषा में लाल कोठी के नाम से जाना जाता है। लेकिन 2014 में हज़ारीबाग के young poet मिहिर वत्स ने ये पता लगाया कि कैप्टन थॉमस रात्रे के नाम पर वास्तव में इसका नाम रैट्रे हाउस रखा गया था, जिसके 150 सैनिकों की बटालियन ने इस क्षेत्र में 1857 के विद्रोह को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। लाल कोठी को इसका दूसरा नाम मिला क्योंकि यह पूरी तरह से लाल है, इसके प्रवेश द्वार पैगोडा(Pagoda) के आकार में हैं जिसपर कई आकृति उकेरी गई है। वर्तमान समय मे इस इमारत को डीवीसी के लेखा (Accounts) कार्यालय के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। Rattray के नाम से जुड़े एक रोचक क़िस्सा मिहिर अपनी ब्लॉग में लिखते हैं और बताते हैं कि जब उन्हे तीन महीने की लेखन फेलोशिप पर यू.के. जाने का मौका मिला तब उन्हे ज्यादातर स्कॉटलैंड में रहना था, लेकिन तीसरे महीने में जब वे हजारीबाग के औपनिवेशिक रिकॉर्ड और ब्रिटिश लाइब्रेरी में एक किताब की तलाश में लंदन गए तब ग्रंथों में से एक में, रैट्रे हाउस उन्हे लिखा मिला। उन्होंने Google और पूरी लाइब्रेरी छान मारी फिर पता चला कि कैप्टन थॉमस रैट्रे के पड़पोते स्कॉटलैंड में रहते हैं। Note:- फोटोग्राफ्स by मिहिर वत्स (लेखक और अंग्रेज़ी के प्रोफेसर) कृप्या कमेंट पे अपना फीडबैक दें और बताए कि आपको ये ख़बर कैसी लगी और इस तरह की खबरों से आपको अवगत कराना ठीक रहेगा हर छोटे छोटे अंतराल में।