जुलजुल पहाड़ी की तलहटी पर बसे बहरोनपुर में पुरातत्व खुदाई दोबार हुई शुरू

सरकार के संयुक्त सचिव ने हजारीबाग उपायुक्त को पत्र लिखकर इस पर मांगा मंतव्य और विस्तृत प्रतिवेदन पुरातत्व बचाओ मंच, बहरोनपुर के सदस्यों ने बुके भेंटकर जताया सदर विधायक का आभार, दिया धन्यवाद ——— सदर प्रखंड स्थित जुलजुल पहाड़ी की तलहटी पर बसा प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण मनोहारी और रमणीय स्थल बहरोनपुर में जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा पूर्व में 45 दिनों तक खुदाई कार्य किए जाने के पश्चात अनेकों पूर्व पाषाण काल से जुड़ी खंडित मूर्तियां तथा कई कलाकृतियां से जुड़ी सामग्री मिलने के पश्चात यहां खुदाई बंद किए जाने के मामले को झारखंड विधानसभा के विगत बजट सत्र के दौरान हजारीबाग सदर विधायक मनीष जायसवाल ने सदन पटल पर लाया था। जो सदन नहीं चलने के कारण अतारांकित प्रश्न में परिवर्तित हो गया। उनके द्वारा पर्यटन, कला, संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग मंत्री से सीधे तौर पर यह सवाल किया गया कि हजारीबाग विधानसभा क्षेत्र के सदर प्रखंड अंतर्गत गुरहेत पंचायत में जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा पूर्व में 45 दिनों तक खुदाई कार्य किए जाने के पश्चात अनेकों पूर्वपाषाण काल से जुड़ी खंडित मूर्तियां तथा कई कलाकृतियों से जुड़ी सामग्री मिली है। वर्णित क्षेत्र में मूर्तियों एवं सामग्रियों के मिलने से यह स्पष्ट है कि उक्त क्षेत्र की और खुदाई करने से और भी बहुमूल्य मूर्तियां मिलेगी। वर्णित क्षेत्र को पर्यटक क्षेत्र के रूप में विकसित करने से क्षेत्र के लोगों को रोजगार के अवसर के साथ-साथ सरकार को राजस्व की भी प्राप्ति होगी। उन्होंने आगे पूछा है कि अगर उपयुक्त बातें स्वीकार आत्मक हैं तो क्या सरकार जनहित एवं राज्यहित में क्षेत्र की जांच कराकर उसे पर्यटक क्षेत्र के रूप में विकसित करने का विचार रखती है हां तो कब तक नहीं तो क्यों? सदर विधायक श्री जायसवाल के सदन पटल पर इस मामले को लाए जाने के पश्चात सरकार के संयुक्त सचिव राजू रंजन राय द्वारा हजारीबाग उपायुक्त को दिनांक- 29/07/2020 को पत्रांक- पर्य./वि. सं.-41/2020-710 के माध्यम से सदर विधायक मनीष जायसवाल से प्राप्त उक्त अतारांकित पश्न के संबंध में विस्तृत प्रतिवेदन भूमि उपलब्धता तथा उक्त स्थल के पर्यटक स्थल के रूप में विकसित होने की संभावना पर अपना मंतव्य विभाग को शीघ्र उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया है साथ ही कहा गया है कि ताकि उक्त तारांकित प्रश्न का उत्तर विधानसभा सचिवालय को भेजना संभव हो सके। इधर उपायुक्त हजारीबाग के निर्देश पर उप विकास आयुक्त हजारीबाग द्वारा पत्रांक- 695/विकास, दिनांक-24/9/2020 को इस संबंध में उत्तर सामग्री- सह- प्रतिवेदन, मंतव्य सहित विस्तृत प्रतिवेदन उपलब्ध कराने हेतु प्रखंड विकास पदाधिकारी सदर हजारीबाग को निर्देशित किया गया है। जिस पर स्थानीय मुखिया इत्यादि से विमर्श कर विस्तृत विवरण तैयार करने की प्रक्रिया जारी है । इधर इस संबंध में जानकारी मिलने के पश्चात पुरातत्व बचाओ मंच, बहरोनपुर के पदाधिकारियों ने रविवार को स्थानीय झंडा चौक अवस्थित विधायक कार्यालय पहुंचकर सदर विधायक मनीष जायसवाल को बुके भेंटकर उनके प्रति आभार जताया और उनके इस मांग को सदन पटल पर रखने हेतु उन्हें धन्यवाद दिया। मौके पर विशेष रूप से उनके पर विशेष रूप से पुरातत्व बचाओ मंच के अध्यक्ष सतन उरांव, गुरूहेत मुखिया महेश तिग्गा, सखिया मुखिया अरुण यादव, पौता मुखिया लालधारी राम, अबोध राम, शिवपाल यादव, संतोष यादव, कपिल महतो, शहदेव साव, संजय गोप, सदर विधायक प्रतिनिधि विजय कुमार सहित अन्य लोग मौजूद रहे। उल्लेखनीय है कि विगत 23 फरवरी 2020 को को पुरातत्व बचाओ मंच, बहरोनपुर के तत्वाधान में खुदाई स्थल पर एक विशेष बैठक आहूत हुई थी जिसमें बतौर मुख्य अतिथि के रूप में सदर विधायक मनीष जायसवाल शामिल हुए थे। जिसमें स्थानीय लोगों ने एकस्वर में उनसे कहा था कि यहां के पुरातत्व को यहीं संजोने और मनोहारी स्थल को पर्यटन स्थल में तब्दील करने हेतु विशेष म्यूजियम बनाने और इसे बौद्ध सर्किट से जोड़ने की आवश्यकता है ताकि ऐसा होने से हमारे माटी से खुदाई में निकला पुरात्तव हमारे भविष्य भी देख सकें और हमारे क्षेत्र का उत्थान भी हो सकें। स्थानीय लोगों की मांग पर सदर विधायक श्री जायसवाल ने उन्हें भरोसा देते हुए कहा था कि आगामी विधानसभा सत्र में यहां पुरात्तव विभाग द्वारा संभावनाओं की तलाश जारी रखने हेतु खुदाई जारी रखने के लिए सदन पटल पर इस मामले को प्राथमिकता से उठाएंगे और जल्द ही एक डेलीगेट के साथ पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग के पटना कार्यालय में जाकर यहां से निकल रहे अवशेष को यहीं रखने हेतु वार्ता करेंगे । उल्लेखनीय है की विगत क़रीब 10 माह पूर्व यहां पुरात्तव विभाग द्वारा संभावनाओं का तलाश में खुदाई की गई थी जिसमें कई पुरातत्व का अवशेष के रूप में मां तारा की खंडित प्रतिमा, अष्टकमल, अनाला सहित अन्य प्राप्त हुआ है। जिसके बाद विभाग द्वारा खुदाई बाधित करके यहां से निकले पुरातात्विक अवशेष को संरक्षण हेतु मुख्यालय पटना ले जाया गया था ।

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