इचाक। जिसका कोई नही उसका भगवान होता है। यही बात चरितार्थ की है इचाक के एक होमियोपैथी डॉ पवन ने जो निशुल्क इलाज कर मानवता का परिचय दे रहे। हम बात कर रहे हैैं परासी गांव के नंदलाल वैध के 17 वर्षीय पुत्र सोनू की। जो चार साल से चलने फिरने में असमर्थ था। इसके अलावे खाना पीना व अपना अन्य काम भी नही कर पाता था। परिजनों ने इलाज कराने राजस्थान, पटना, रांची के अलावे एम्स तक गये। मगर हर जगह निराशा हाथ लगी। सोनू की माँ चिंता देवी ने बताया की लगभग चार साल पूर्व अचानक सोनू की तबियत खराब हो गई। वह चलने फिरने में भी असमर्थ हो गया। इस बीच कई लोगों से मदद की गुहार लगाई। मगर हर ओर से निराशा हाँथ लगी। कर्ज लेकर राजस्थान तक गई मगर स्थिति जस की तस रही। जब इस बीमारी की जानकारी इचाक के पोस्ट ऑफिस रोड स्थित मिहिजाम होमियो क्लिनिक के संचालक डॉ पवन कुमार को हुई तो उन्होंने इसका इलाज शुरू किया। इलाज शुरू होने के कुछ माह बाद सोनू अपने पैर पर फिर से खड़ा होकर चलने फिरने लगा। डॉ पवन कुमार ने बताया स्कोलियोसिस नामक बीमारी ने सोनू को जकड़ लिया था। इस बीमारी में रीढ़ की हड्डी एक तरफ घूम जाती है। जिससे मरीज चलने-फिरने समेत अपने अन्य दैनिक कार्य करने में असमर्थ हो जाता है। लगभग आठ माह से मैं इलाज कर रहा हूँ। तब से वह घूम फिर रहा। यहां तक कि चल कर हमारे क्लिनिक तक भी आने लगा। उन्होंने बताया कि वे कई ऐसे बीमारियों का इलाज पूर्व में भी कर चुके हैं।
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