दिगंबर जैन समाज के विजय लुहाड़िया ने गांधीजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। दिगंबर जैन समाज के मीडिया प्रभारी विजय लुहाड़िया ने कहा कि महात्मा गांधी के जीवन दर्शन में जैन दर्शन की अमिट छाप नजर आती है । जैन धर्म के पांच अति महत्वपूर्ण नियम जिन्हें पंच महाव्रत कहा जाता है। अहिंसा, सत्य, अचौर्य, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य को गांधीजी ने आजीवन अपने जीवन मे न केवल अपनाया बल्कि औरों को भी इसे अपनाने के लिए प्रेरित किया। आज हिंसा से ग्रसित समस्त विश्व को जैन धर्म एवं महात्मा गांधी द्वारा बताए गए अहिंसा की विचारधारा को अपनाने की नितांत आवश्यकता है । जैन धर्म के मूल तत्त्व शाकाहार को भी गांधीजी ने न केवल भारत मे बल्कि वकालत की पढ़ाई के दौरान इंग्लैंड में भी अपनाया था एवं आजीवन शाकाहारी रहें एवं शाकाहार का प्रचार प्रसार गांधीजी ने पुरजोर तरीके से किया था ।
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