बहोरनपुर, हजारीबाग की जमीन में दबा बौद्ध विहार, पुरातत्व विभाग खुदाई कर रहस्य से उठा रहा परदा कहा यहां नेचर और कल्चर का है अद्भुत समागम, जल्द इसे बौद्ध सर्किट से जोड़ने, यहां म्यूज़ियम बनाने एवं इस स्थल को संरक्षित स्थल का दर्जा दिलाने का करेंगे प्रयास ——– सदर प्रखंड स्थित जुलजुल पहाड़ी की तलहटी पर बसा प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण मनोहारी और रमणीय स्थल बहोरनपुर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा वर्ष 2020 में 45 दिनों की खुदाई के पश्चात अनेकों पाषाण काल से जुड़ी खंडित मूर्तियां तथा कई कलाकृतियां प्राप्त हुई थी। जिसके बाद यहां विभाग द्वारा खुदाई का कार्य बंद कर दिया गया था। इस मामले को झारखंड विधान सभा के पटल पर हजारीबाग सदर विधायक मनीष जायसवाल ने लाया था और उन्होंने सदन पटल पर कहा था कि क्षेत्र की और खुदाई करने से कई बहुमूल्य मूर्तियां मिलेंगी। उन्होंने यह भी कहा था कि उक्त क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने से क्षेत्र के लोगों को रोजगार के अवसर के साथ-साथ सरकार को राजस्व की भी प्राप्ति होगी । वर्तमान वर्ष पुनः भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा यहां 1 फरवरी से खुदाई चालू की गई। माउंट की खुदाई के महज कुछ ही दिनों में यहां ईंट से बनी श्राइन स्थल जमीन में दबा मिला। जिसके अंदर भगवान बुद्ध की कई मूर्तियों के साथ मां तारा की एक अलंकृत मूर्ति मिली है। मूर्ति व्हाइट फाइन सैंड स्टोन से बनी है और श्राइन का निर्माण काल 9 वीं से 12 वीं शताब्दी का बताया जा रहा है। महायान तिब्बती बौद्ध धर्म के संदर्भ में तारा या आर्य एक स्त्री बोधिसत्व है। वज्रयान बौद्ध धर्म में वे स्त्री बुध के रूप में है। वे मुक्ति की जननी के रूप में मानी जाती है। यहां मिल रहे पूरा अवशेष बौद्ध धर्म के परिपक्व होने के बाद के हैं । इधर झारखंड विधान सभा बजट सत्र के अवकाश पर क्षेत्र में पहुंचे हजारीबाग सदर विधायक मनीष जायसवाल गुरुवार को इस खुदाई स्थल का निरीक्षण करने यहां पहुंचे। उनके यहां पहुंचने पर स्थानीय ग्रामीणों और पुरातत्व बचाओ मंच, बहरोनपुर के अधिकारियों ने पुष्पगुच्छ भेंट कर और फूल माला पहनाकर भव्य स्वागत किया। यहां विधायक श्री जायसवाल ने पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पदाधिकारी डॉ.वीरेंद्र कुमार और डॉ. नीरज मिश्र के नेतृत्व में एक एक साइट और प्राप्त पुरावशेष का निरीक्षण कर जानकारी हासिल की। पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस क्षेत्र में पॉकेट में इस प्रकार की साइट्स का मिलना क्षेत्र के लिए सुखद संदेश है। उन्होंने यह भी बताया कि यहां इन सीटू प्लेस में जिस प्रकार संरक्षित मूर्तियां प्राप्त हो रही है ऐसे अन्य जगहों पर अमूमन नहीं मिलती हैं। अधिकारियों ने इस साइट की खूबसूरती को कश्मीर में प्राप्त एक साइड से जोड़कर इसे बेहद खास बताया । साइट्स की जानकारी प्राप्त करने के बाद सदर विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि हजारीबाग के जुलजुल पहाड़ियों की श्रृंखला में बौद्ध इतिहास छिपा है यह अब स्पष्ट होने लगा है। यहां नेचर और कल्चर का बेहतर कंबीनेशन भी है। उन्होंने कहा कि अब जल्द है ना राम काम में है हम काम कर रहे हैं इसे लेकर सरकार के आला अधिकारियों और सरकार से सीधे इस ऐतिहासिक पुरातात्विक स्थल को बौद्ध सर्किट से जोड़ने, यहां से प्राप्त पुरावशेष को खंडित होने और पुरातात्विक विभाग के गोडाउन में रखे जाने के बजाय इसे यहीं संरक्षित करने हेतु विशेष म्यूजियम का निर्माण करने और राष्ट्र के अन्य धरोहरों की भांति इस पुरातत्विक स्थल को भी राष्ट्रीय धरोहर मानकर इसका संरक्षण पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग के अधीन किए जाने की मांग करूंगा, ताकि या क्षेत्र पर्यटक क्षेत्र के रूप में विकसित हो सके और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर के साथ-साथ सरकार को राजस्व की भी प्राप्ति हो ।
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