भारतीय जैन संगठन ने बेटियों के समिलशकरण कार्यशाला आयोजन की

भारतीय जैन संगठन झारखंड प्रांत द्वारा आयोजित बेटियों के सक्षमीकरण कार्यशाला के चौथे दिन होशियार बेटियों को दोस्ती के बारे में, विपरीत सेक्स के साथ आकर्षण के बारे में, भावनात्मक रिश्तो के बनने की प्रक्रिया के बारे में और जीवन पर इसके प्रभाव के बारे में बताया गया। दोस्ती सभी को अच्छी क्यों लगती है? इसमें मौज मस्ती होती है, दोस्तों के साथ खुशी महसूस होती है, हम एक दूसरे से बहुत ज्यादा अपनापन महसूस करते हैं, एक दूसरे को आसानी से समझ सकते हैं, हम एक दूसरे की परवाह करते हैं और एक दूसरे की खुशी या तकलीफ में शरीक होते हैं, एक दूसरे की सहायता के लिए सदैव तत्पर रहते हैं, एक दूसरे को अच्छी तरह समझते हैं और उन पर भरोसा भी करते हैं, दोस्ती में जो जैसा है हम उसे वैसे ही स्वीकार करते हैं। यह रिश्ता हम खुद बनाते हैं, हम पर थोपा हुआ नहीं होता है और इसीलिए हम इसके साथ ज्यादा सहज महसूस करते हैं। हम सभी को जीवन में अच्छे दोस्त चाहिए। तो प्रश्न उठता है कि वह अच्छा दोस्त होता कैसा है? प्रशिक्षक संजय जी सिंधी ने बताया कि अच्छा दोस्त वह होता है जिसका साथ आपको अच्छा लगता है जो आपके चेहरे पर मुस्कान और हंसी का कारण होता है जो आपकी बातों को ध्यान से सुनता है हर वक्त आपके साथ खड़ा होता है चाहे आप सही हो या गलत आपकी कमियों की आलोचना नहीं करता है आप जैसे हैं वैसे ही आपको पसंद करता है आपका आत्म सम्मान बनाए रखता है भरोसेमंद होता है, आपके हित के लिए आपको कड़वी बात कहने से संकोच नहीं करता है, विपरीत परिस्थितियों में आपके साथ खड़ा रहता है। यदि ऐसा नहीं है तब हमें ऐसी दोस्ती पर पुनर्विचार करना चाहिए और समझना चाहिए कि आखिर हम उन्हें दोस्त मान ही क्यों रहे हैं? इसी क्रम में दिल्ली के प्रशिक्षक विवेक जैन ने बेटियों को ऐसे निषिद्ध लेकिन प्राकृतिक आकर्षण और प्रलोभन के बारे में बताया जिसे समझना और अपने विवेक से उसकी सीमा तय करना आवश्यक है। विपरीत सेक्स के साथ प्रलोभन में आने का कुछ कारण तो प्राकृतिक है लेकिन बहुत सी बेटियां गिफ्ट के प्रलोभन में आ जाती है, या फिर जब उन्हें दिखाई देता है की दूसरी लड़कियों को लड़कों द्वारा महत्व दिया जा रहा है तो वह भी उसी रास्ते पर चल देती है, या फिर वह देखा देखी अपने आप को आधुनिक या बोल्ड साबित करने की होड़ में लग जाती है और जिन लड़कियों के अंदर हीन भावना होती है वह बहुत आसानी से आकर्षित हो जाती है। कुछ बेटियां नए अनुभव और उत्तेजना के कारण शारीरिक लड़कियों को बढ़ा लेती है । महाराष्ट्र की प्रशिक्षिका राज नाहर ने झारखंड की बेटियों से पूछा कि विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षण क्या जान पहचान के बीच होता है या अनजाने लोगों के लिए भी होता है? क्या लड़कियों को इश्क बाजी और छेड़खानी में मजा आता है? क्या लड़के और लड़की की नजदीकी शारीरिक रिश्तो की ओर बढ़ने की वजह बनती है? जब दोस्ती प्रगाढ़ हो जाती है, भरोसा बढ़ जाता है, भावनात्मक नजदीकियां बढ़ जाती है तब ऐसी दोस्ती में सेक्सुअल रिलेशनशिप बनाना उचित है क्या? इन सवालों पर बेटियों से विस्तार पर चर्चा हुई और उन्हें बताया गया कि स्मार्ट बेटियों को किस प्रकार अपने विवेक से अपनी भावनाओं पर विजय पाना है। अपने कनक्लूडिंग रिमार्क्स में संजय जी सिंघी ने स्मार्ट बेटियों को बताया के शारीरिक नज़दीकियों के आने के पहले बेटियों को इसके परिणामों पर गहन चिंतन करना चाहिए। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि आपको कैडबरी खाने में अच्छा लगता है लेकिन यदि आपको यह जानकारी हो कि 10 बार कैडबरी खाने में किसी एक बार जहरीली कैडबरी भी अनजाने में आ सकती है तब क्या आप एक बार भी कैडबरी खाना चाहेंगे। उन्होंने ऐसे अनेक उदाहरण दिए जिसमें बेटियों को शादी के बाद अपने पुराने पुरुष दोस्तों के कारण अपमानित होना पड़ा है या फिर उनकी जिंदगी तबाह हुई है। इन परिस्थितियों में हमारे सामने क्या क्या विकल्प है और हमें निर्णय कैसे लेना चाहिए इत्यादि विषयों पर अगले कार्यशाला में बेटियों के साथ चर्चा होगी। कार्यशाला के संचालन में भारतीय जैन संगठन से भारती चौहान ने, हजारीबाग से विजय जैन ने, डाल्टेनगंज से अलका जैन ने, पेटरवार से शशि ने, कोडरमा से सरला ने और गिरिडीह से हेमलता ने विशेष योगदान दिया।

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