मार्खम कालेज के वाणिज्य विभाग में जीएसटी – अवलोकन विषयक एक दिवसीय सेमिनार

हजारीबाग : 20 मार्च : स्थानीय मार्खम कालेज स्थित विवेकानंद सभागार में वाणिज्य विभाग के तत्वावधान में ‘जीएसटी- अवलोकन’ विषयक एक दिवसीय सेमिनार संपन्न हो गया। इस सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि विनोबा भावे विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि जीएसटी अर्थात गुड्स एंड सर्विस टैक्स में कुल सतरह टैक्स समाहित हैं। जीएसटी ‘वन कंट्री वन रूल’ के आधार पर लागू है। जीएसटी सभी को देनी होती है। अपने संबोधन में प्रतिकुलपति ने सेमिनार में पेट्रोलियम में जीएसटी लागू नहीं रहने का सवाल मुख्य वक्ता से रखा। सेमिनार में बतौर मुख्य वक्ता स्थानीय डीवीसी के लेखा शाखा के चार्टर्ड अकाउंट रवि रंजन ने कहा कि भारत संघीय देश है, जहां जीएसटी अर्थात वस्तु एवं सेवा कर लागू है। संघीय देशों में ही जीएसटी लागू है। जीएसटी लागू करने के पूर्व वैट लगाना जरूरी होता है। टैक्स प्रक्रिया पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि टैक्स दो प्रकार के लिए जाते हैं, पहला जीरो टैक्स एवं दूसरा कर मुक्त टैक्स।जीरो टैक्स में करदाता टैक्स का क्रेडिट ले सकते हैं, जबकि कर मुक्त टैक्स में करदाता क्रेडिट नहीं ले सकते हैं। केंद्र सरकार सीजीएसटी, संघीय राज्य यूजीएसटी एवं राज्य सरकार एसजीएसटी लेती है। उन्होंने कहा कि जीएसटी में सेल नहीं बल्कि सप्लाई का प्रयोग होता है। सेल का कोई महत्व नहीं होता है, परंतु सप्लाई होने पर जीएसटी लागू हो जाता है। जीएसटी के लिए जीएसटी काउंसिल शीर्ष संस्था है। अपने अध्यक्षीय संबोधन में कालेज के प्राचार्य डॉ बिमल कुमार मिश्र ने कहा कि मार्खम पॉपुलर लेक्चर, जो इस कॉलेज में 2019 से लागू है, उसी के तहत इसपर बीते वर्ष व्याख्यान करनी थी, लेकिन कोविड-19 के कारण लंबित रखा गया, जो आज संपन्न हो रहा है ।भारत सरकार ने जीएसटी को लागू किया, परंतु इसकी विस्तृत जानकारी से सभी छात्र लाभान्वित होंगे। अपने स्वागत संबोधन में आयोजन सचिव सह कालेज के विभागाध्यक्ष डॉ यूएस सिंह ने कहा कि जीएसटी अर्थात वस्तु एवं सेवा कर दो प्रकार के होते हैं।पहला डायरेक्ट टैक्स एवं दूसरा इनडायरेक्ट टैक्स। देश में तीन प्रकार के टैक्स लिए जाते हैं, सेंट्रल टैक्स, स्टेट टैक्स एवं लोकल टैक्स। डायरेक्ट टैक्स लगाने का अधिकार केवल केंद्र सरकार को है। इनकम टैक्स प्रत्यक्ष कर है, जबकि उत्पाद में जो टैक्स लगते हैं ,वह इनडायरेक्ट टैक्स हैं। भारत में केंद्र और राज्य सरकार टैक्स लेती है।भारत में जीएसटी की सन् 1985 में आवश्यकता प्रतीत हुई। इसके लिए पहले वैट टैक्स लगाना जरूरी था। वैट टैक्स के बाद ही जीएसटी देश में लागू किया गया। अब वैट की जगह सेवा कर लागू है। सेमिनार में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया है। सेमिनार के पूर्व मंचासीन अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ से किया गया। इस सेमिनार में विभाग की शिक्षिका डा रूपम सिंह, डा गौसिया प्रवीण, विद्यार्थियों में हिमांशु कुमार, सत्यम ,सोनी,दीक्षा, प्रियांशी ,सुमित, गुड़िया, साबू ,सिकंदर, मोनिका, प्रीति कुमारी समेत स्नातक एवं स्नातकोत्तर के विद्यार्थीगण उपस्थित थे।

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