भारतीय जैन संगठन द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय स्मार्ट गर्ल कार्यशाला में आज बेटियों को मासिक धर्म और स्वच्छता के संबंध में प्रशिक्षित किया गया और अनेक प्रकार की भ्रांतियों को दूर किया गया। कार्यशाला के प्रशिक्षक रायपुर के संजय सिंधी ने बेटियों को बताया की मासिक धर्म क्या है, यह किस प्रकार आपके नारीत्व की यात्रा को पूर्ण करता है, इस दौरान आपको कैसा महसूस करना नॉर्मल है, शरीर में कैसे बदलाव आने नॉर्मल है, क्या हमें इसके कारण शर्म आना चाहिए या घबराना चाहिए। संजय जी ने बेटियों के अंदर गर्व की भावना को जगाते हुए कहा कि यह सृजन की एक प्रक्रिया है जिसकी क्षमता प्रकृति ने सिर्फ और सिर्फ आपको दिया है। मासिक धर्म से संबंधित स्वच्छता पर उन्होंने बेटियों को समझाया कि किस प्रकार पुराने तरीकों को छोड़कर पैड वगैरह इस्तेमाल करने चाहिए और पैड को किस प्रकार सही तरीके से बिना किसी संकोच के डिस्पोज करना चाहिए। सृष्टि, देविका और समायरा ने प्रश्न किया कि उन्हें मासिक धर्म के दौरान किचन में नहीं जाने दिया जाता, बाहर नहीं जाने दिया जाता, खेलने कूदने नहीं दिया जाता। इससे वे अपने आप में अजीब, डिप्रेस्ड और घबराहट महसूस करती हैं। प्रशिक्षक ने उन्हें बताया कि यह चीजें परिवार में कई पुरखों से चली आ रही है, यह धीरे-धीरे कम होता जा रहा है लेकिन यह एक साथ नहीं हट सकता है। इस विषय पर आपको लगातार अपने परिवार से वार्ता करते हुए अपनी तार्किक बातों को उन्हें समझाना है लेकिन ऐसा करते समय अपने परिवार के बढ़ो को ठेस नहीं पहुंचाना है और अपने रिश्तो को खराब नहीं करना है। तीन अलग-अलग वर्चुअल कार्यशाला में एक सौ से अधिक बेटियों ने अपने अनेक शंकाओं का समाधान किया और अपने अस्तित्व के महत्व को समझा। बेटियों ने प्रकृति के द्वारा प्रदत अपनी शारीरिक क्षमताओं को, अपनी भावनात्मक क्षमताओं को, अपनी सामाजिक क्षमताओं को, अपने आध्यात्मिक क्षमताओं को विस्तार से समझा और अपने आप को विशेष पाकर आत्म गौरव का अनुभव किया। बेटियों ने कहा कि वह आज से अपनी कमजोरी, अपनी लाचारी, अपनी बेबसी इत्यादि नकारात्मक चीजों पर ध्यान केंद्रित न करके अपनी क्षमताओं और विशेषताओं पर ध्यान केंद्रित करेंगी। कार्यशाला के बाद बेटियों ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए धनबाद की आयोजीका कामना जैन जी ने कहा कि आज तक जो बातें उनकी मां भी अच्छी तरह नहीं समझा पाई। वह सारी बातें आज उन्होंने कार्यशाला में जाना और उन्होंने लड़कीपने के गौरव को समझने के साथ-साथ अपनी नैसर्गिक ताकतों को भी पहचाना। कार्यशाला में आशिका, ध्वनि, मुस्कान,अंशिका, दिव्या, हर्षिका, लता, ज्योतिका, चहल, सामयरा, दीक्षा, सृष्टी, प्रिंसी, नेहा, पूजा, आकांक्षा, विधि, अर्चिता, ईशा और नूपुर ने अपनी शंकाओं का समाधान किया।
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