22 जुलाई को पृथ्वी के सबसे निकट होगा धूमकेतू नियोवाइज

सूर्यास्त के बाद 20 मिनट तक उत्तर पश्चिम दिशा में दिखाई दे रहा पुच्छल तारा सी-2020 एफ-3 ….6800 साल बाद दिखेगा यह अद्भुत खगोलीय नजारा …… अमरनाथ पाठक, सीनियर एडिटर …… हजारीबाग। एक अद्भुत खगोलीय घटना हमारी आंखों के सामने से गुजर रहा है। धूमकेतू सी/2020 एफ3 जिसे नियोवाइज के नाम से भी जाना जाता है भारत में 20 दिनों तक दिखाई देगा। इस धूमकेतू को नासा ने मार्च में खोजा था। यह धूमकेतु 22 जुलाई को पृथ्वी के सबसे पास 10.3 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित होगा। धीरे-धीरे यह सौरमंडल से बाहर निकल जाएगा। यह जानकारी देते हुए हजारीबाग निवासी सह फरीदाबाद में कार्यरत साइंस राइटर अभिषेक मिश्र ने बताया कि भुवनेश्वर के पठानी सामंत तारामंडल के उप निदेशक डा. शुभेंदु पटनायक ने इस पर काफी रिसर्च किया है। उनके अनुसार नियोवाइज को 14 जुलाई से आसमान में खुली आंखों से देखा जा रहा है। उत्तर पश्चिम दिशा की ओर आसमान में यह धूमकेतु दिखाई दे रहा। यह धूमकेतू अगले 20 दिनों तक सूर्यास्त के बाद 20 मिनट के लिए दिखाई दे रहा है। डॉक्टर शुभेंदु पटनायक ने कहा, यह धूमकेतू 14 जुलाई से शाम में नजर आ रहा है। शाम के समय यह धूमकेतू आसमान में और ऊपर की ओर चढ़ेगा और लंबे समय तक दिखाई देगा। उन्होंने कहा कि दूरबीन की मदद से इसे आसानी से देखा जा सकता है। 30 जुलाई के आसपास इसे 40 डिग्री की ऊंचाई पर सप्तऋर्षि मंडल के पास देखा जाएगा। जुलाई के बाद यह बहुत तेजी से गायब हो जाएगा और खुली आंखों से दिखाई नहीं देगा। हालांकि, इसे दूरबीन या स्पेस दूरबीन की मदद से देखा जा सकेगा। इस धूमकेतु को नासा ने मार्च में खोजा था। यह धूमकेतू 22 जुलाई को पृथ्वी के सबसे पास 10.3 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित होगा। धीरे-धीरे यह सौरमंडल से बाहर निकल जाएगा। गत 27 मार्च को जब यह सूर्य से 31.2 करोड़ किलोमीटर दूरी पर था, तब इसे निओवाइज दूरबीन के जरिए देखा गया था। उस समय यह केवल बड़ी दूरबीन से ही दिखाई दे रहा था। मगर जुलाई के आरंभ से यह नंगी आंख से भी दिखाई देने लगा है। इससे पहले धूमकेतू आटलास एवं स्वान आया था, मगर नंगी आंख से नहीं दिख रहा था। खगोलविदों के अनुसार 1997 में अंतिम बार हेल वफ धूमकेतू को नंगी आंख से देखा गया था। अब इसे देखा जाना एक आकस्मिक एवं विरल घटना है जिससे खगोलप्रेमियों में काफी उत्साह है। 15 जुलाई से प्रारंभ यह खगोलीय नजारा अगले 20 दिनों तक शाम में नजर आएगा। सूर्यास्त के पश्चात अगले 20 मिनट तक इसे उत्तर पश्चिम दिशा में देखा जा सकता है। धूमकेतू कुछ किलोमीटर व्यास के पत्थर, बर्फ एवं धूल के कठोर पिंड होते हैं, जो अत्यंत ठंडी अवस्था में सूर्य के पास चक्कर लगाते हैं। इस धूमकेतू को देख पाने वाले कितने खुशनसीब होंगे इसका अंदाजा इस बात से भी लग सकता है कि नासा के अनुसार इस बार के बाद इसे पुनः 6800 वर्ष पश्चात ही देखा जा सकेगा। ….. धूमकेतु की यह दुर्लभ तस्वीर इंग्लैंड के विश्वविख्यात मेगालिथ स्थल स्टोनहेंज के पास ली गई है। ……

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