गुमला : जिले के उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने सोमवार को घाघरा प्रखंड के सेहल बंसी टोली और कुगांव पंचायत के चट्टी ग्राम का दौरा किया। ये दोनों गांव झारखंड के पहले जलवायु स्मार्ट गांव के रूप में जाने जाते हैं। इन गांवों में ग्रामीण उन्नत और पर्यावरण-संवेदनशील खेती के साथ-साथ व्यवसायिक गतिविधियों के माध्यम से आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर हैं।
दौरे के दौरान उपायुक्त ने दोनों गांवों के निवासियों से मुलाकात की और उनकी आजीविका के साधनों को नज़दीक से समझने का प्रयास किया। यह दौरा झारखंड में जलवायु स्मार्ट कृषि और ग्रामीण सशक्तिकरण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों का महत्वपूर्ण हिस्सा था। जिला प्रशासन के नेतृत्व में ‘प्रदान’ नामक गैर-सरकारी संस्था के सहयोग से यहां के ग्रामीणों को उन्नत खेती और प्रोसेसिंग यूनिट्स के माध्यम से आर्थिक रूप से सशक्त किया जा रहा है।
सेहल और चट्टी गांवों में सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की गई है, जिससे यहां के लोगों को पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा स्रोत उपलब्ध हो सके। यहां ‘विमेन फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड’ के माध्यम से करीब 3100 महिलाएं खेती और अन्य व्यवसायों से जुड़कर आत्मनिर्भर हो रही हैं। महिलाओं की इस सहभागिता ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाया है, बल्कि इन्हें सामाजिक रूप से भी सशक्त किया है।

गांवों में सरसों, हल्दी, धनिया, चावल, आटा और दोना-पत्तल प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की गई है, जिससे ग्रामीणों को रोजगार के नए अवसर मिल रहे हैं। इसके अलावा लगभग 50 एकड़ भूमि पर उन्नत किस्म की फसलों जैसे तरबूज, मटर, आलू और शिमला मिर्च की खेती की जा रही है। इन फसलों की उत्पादकता में सुधार के लिए ‘प्रदान’ संस्था की ओर से तकनीकी और बाजार सहयोग प्रदान किया जा रहा है।
दौरे के दौरान उपायुक्त ने इन गांवों में चल रही विभिन्न सरकारी योजनाओं की भी समीक्षा की। इनमें बिरसा हरित ग्रामीण योजना, किसान क्रेडिट कार्ड योजना, बैंक सखी योजना, मैया सम्मान योजना, सावित्रीबाई फुले योजना, मिलेट मिशन, राशन कार्ड योजना और पेयजल व सड़क निर्माण से संबंधित कार्य शामिल हैं। उपायुक्त ने इन योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन पर जोर देते हुए अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
उपायुक्त ने इन गांवों के प्रयासों को सराहते हुए कहा कि ये झारखंड के अन्य ग्रामीण इलाकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह मॉडल न केवल ग्रामीण विकास बल्कि जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कृषि को बढ़ावा देने का भी उत्कृष्ट उदाहरण है। इन प्रयासों से यहां के ग्रामीणों को न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से भी सशक्त किया जा रहा है।
इस दौरे के दौरान उपायुक्त के साथ घाघरा प्रखंड विकास पदाधिकारी दिनेश कुमार, ‘प्रदान’ के पार्टनरशिप लीड मेराज, टीम कोऑर्डिनेटर जितेंद्र, जॉयदीप, अभय, अनिषा, सेहल पंचायत के मुखिया, फेडरेशन के अध्यक्ष और अन्य ग्रामीण भी उपस्थित थे। उपायुक्त ने ग्रामीणों के साथ संवाद करते हुए उनकी समस्याओं को सुना और उन्हें हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।
गांवों में उन्नत तकनीकों और सरकारी योजनाओं का प्रभावी उपयोग ग्रामीण विकास की दिशा में एक सकारात्मक बदलाव को इंगित करता है। उपायुक्त ने इस अवसर पर यह भी कहा कि जिला प्रशासन जलवायु स्मार्ट गांवों की इस पहल को और मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने और उनकी आजीविका को स्थायी रूप से सुधारने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
यह दौरा झारखंड में जलवायु स्मार्ट गांवों के बढ़ते प्रभाव और उनकी कार्यप्रणाली का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। सेहल और चट्टी गांव आज न केवल अपनी उन्नत खेती और व्यवसायिक गतिविधियों के लिए जाने जाते हैं, बल्कि महिलाओं की सशक्त भागीदारी और पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं के माध्यम से राज्य में एक नई मिसाल कायम कर रहे हैं।