हजारीबाग। हजारीबाग के पूर्व और वर्तमान में सरायकेला खरसावां के डीसी रविशंकर शुक्ला का हूल दिवस पर लिखा आनलाइन जर्नल प्रकाशित हुआ है।
यह जर्नल ऑफ आदिवासी एंड इंडिजिनस स्टडीज (जेएआईएस) (एकेडेमिया.edu पर पोस्ट किया गया एक द्वि-वार्षिक सहकर्मी-समीक्षित ऑनलाइन जर्नल) है।
संथाल हूल : एक ऐतिहासिक अवलोकन नामक शीर्षक से प्रकाशित जर्नल में रविशंकर शुक्ला ने पूरी स्टोरी का सार बंताया है। इस बार के मुताबिक
इस निबंध का उद्देश्य मुख्य रूप से संथाल हूल (विद्रोह) की बारीकियों को उजागर करना है। सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और धार्मिक रूप से हूल का ऐसा वर्गीकरण, अंतहीन प्रतीत होने के बावजूद स्वदेशी दृष्टिकोण को मुख्यधारा में लाने और इसकी सूक्ष्मताओं को समझने में सहायता करता है।संस्कृति और जातीयतावाद के दोहरे लेंस के माध्यम से किसी घटना का ऐतिहासिक विश्लेषण। निबंध यह भी प्रयास करता है कि ‘सुरक्षा की लालसा’, सामुदायिक एकजुटता, औपचारिक और धार्मिक आयाम, तथा स्वशासन की मांग को जन्म देने वाली आर्थिक स्थितियों की ऐतिहासिक विशिष्टता को उजागर करने के लिए, जिन्हें एक साथ रखने पर विद्रोह के अंधे धब्बों की पहचान करने में मदद मिलती है। स्वदेशी आवाज़ों को प्राथमिक प्रवचनों में लाने के प्रयासों की कमी महसूस की गई, जो इस घटना की उचित मान्यता की कमी के साथ सहसंबंधित है।
यह अध्ययन हूल की लौकिक और कारणात्मक विशेषताओं की पहचान करता है। यह जर्नल कुल 38 पन्नों में आनलाइन प्रकाशित है, जो विद्यार्थियों के हित में काफी महत्वपूर्ण और मील का पत्थर साबित होगा।