उपासना के अंतर्गत पाठ और संगीत का किया गया आयोजन
हजारीबाग। हजारीबाग की भूमि में पुनर्जागरण के आंदोलन को लाने में यहां 1867 में स्थापित ब्रह्म समाज हजारीबाग की महत्वपूर्ण भूमिका रही। मेन रोड हजारीबाग में अवस्थित इसी ब्रह्म समाज के मंदिर में रविवार को माघ उत्सव मनाया गया।
इस दिन आयोजित उपासना में एक तरफ जहां पाठ और प्रार्थना का आयोजन किया गया। वहीं बीच-बीच में ब्रह्मसंगीत प्रस्तुत किए गए। पाठ और संगीत के माध्यम से ईश्वर को स्मरण करने का और उन्हें धन्यवाद देने का कार्य किया गया। साथ ही गीत के माध्यम से यह प्रार्थना की गई की कि सब का जीवन सुखमय हो, समाज में भाईचारा बनी रहे, चारों तरफ खुशी का माहौल हो।

ज्ञात हो कि माघ उत्सव का आयोजन सर्वप्रथम ब्रह्म समाज के संस्थापक राजा राममोहन राय ने 1830 में किया था। माघ महीने में ब्रह्म समाज की स्थापना की गई थी और इसी स्थापना दिवस के अवसर पर प्रत्येक वर्ष माघ उत्सव का आयोजन किया जाता है। हजारीबाग ब्रह्म समाज में 1867 से प्रत्येक वर्ष माघ महीने में इस उत्सव का आयोजन किया जाता है।

उपासना में संध्या धनपति एवं कोलकाता से आए सुप्रतिम चक्रवर्ती ने पाठ का दायित्व संभाला। इसके माध्यम से ईश्वर को स्मरण करते हुए ब्रह्म समाज एवं ब्रह्म संगीत के इतिहास पर प्रकाश डाला।
उपासना के पूर्वार्ध में गीत प्रस्तुत करने का दायित्व हजारीबाग के तापसी दास, रीता भद्र, रूप पाल, रूबी धणपति, मंदिरा गुप्ता एवं सुलगना ने संभाला। डॉ सुकल्याण मोइत्रा ने ब्रह्म संगीत शैली में तबला पर संगत किया।
कार्यक्रम के दूसरे भाग में गीत प्रस्तुत करने का दायित्व कोलकाता से आए सुप्रतिम चक्रवर्ती, एलोरा चक्रवर्ती एवं जयश्री डे ने संभाला। उपासना कार्यक्रम के बाद खिचड़ी प्रसाद का वितरण किया गया।

कार्यक्रम के आयोजन में हजारीबाग ब्रह्म समाज के सचिव निलंजन चटर्जी, डॉ दीपक कुंडू एवं अतनु घोष मुख्य भूमिका में रहे। शहर के बंगाली समाज के लोग अच्छी संख्या में उपासना में सम्मिलित हुए।