मातृभाषा में हमारी संस्कृति समाहित : डॉ कृष्ण कुमार गुप्ता

विभावि के हिंदी विभाग में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर संगोष्ठी


हजारीबाग। अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के तत्वावधान में शुक्रवार को एक समारोह सह संगोष्ठी का आयोजन किया गया। विभागाध्यक्ष डॉ कृष्ण कुमार गुप्ता ने इसकी अध्यक्षता की। अपने संबोधन में उन्होंने बताया की यूनेस्को की पहल से वर्ष 2000 से प्रत्येक वर्ष, 21 फरवरी को, अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है।

डॉ गुप्ता ने बताया कि हमारी पूरी संस्कृति हमारी मातृभाषा में समाहित होती है। हम अपनी मातृभाषा के माध्यम से ही अपनी संस्कृति से जुड़े रहते हैं। उन्होंने आगे बताया कि किस प्रकार से भारत के अलग-अलग राज्यों में एवं विश्व के अलग-अलग राष्ट्र में लोग अपनी मातृभाषा के महत्व को समझने लगे हैं और इसके प्रति जागरूक हुए हैं।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वरिय विभागीय प्राध्यापक डॉ केदार सिंह ने लुप्त हो रही भाषाओं की ओर सबका ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने ऐसी भाषाओं के संरक्षण एवं संवर्धन की आवश्यकता की बात कही। उन्होंने बताया कि भाषा के माध्यम से ही पारंपरिक ज्ञान एवं संस्कृति पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती चली जाती है।

डॉ सुबोध कुमार सिंह शिवगीत ने मातृभाषा के रूप में भारतीय संस्कृति के संरक्षण के विषय पर प्रकाश डाला। जब तक भाषा बची रहेगी तब तक संस्कृति भी सुरक्षित रहेगी। विनोबा भावे विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक सह हिंदी के प्राध्यापक डॉ सुनील कुमार दूबे ने बताया कि राष्ट्रीय विकास में मातृभाषा की क्या उपयोगिता है। विभागीय प्राध्यापक डॉ राजू राम ने इस अवसर पर विद्यार्थियों को मातृभाषा के अधिक से अधिक उपयोग की प्रेरणा दी।

मंच संचालन शोधार्थी अंजली कुमारी तथा धन्यवाद ज्ञापन शोधार्थी प्रियंका कुमारी ने किया। इस अवसर पर हिंदी विभाग के विद्यार्थी अच्छी संख्या में उपस्थित हुए।

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