हमने बनाया हमहीं संवारेंगे

(पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती पर विशेष)

डॉ अमरदीप यादव
19वीं सदी के शुरुआती दशक में संत कोलंबस कॉलेज हज़ारीबाग से शुरुआत होने वाले अलग झारखंड राज्य की मांग में हुए आंदोलन में हज़ारों विद्यार्थियों, शिक्षाविदों, समाजसेवियों, जनप्रतिनिधियों समेत कई क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई। इस संघर्ष में सैंकड़ों घायल हुए, जेल गए, कई शहीद हुए। उन सबका योगदान अविस्मरणीय और अतुलनीय है।
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की संवेदनशीलता और अटल इरादों ने आंदोलनकारियों के दशकों पुरानी मांग को संकल्प से सिद्धि तक पहुँचाया।
भारतीय जनता पार्टी के प्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी के निर्देश पर 14 जनवरी 1984 (मकर संक्रांति) को पलामू के बेतला नेशनल पार्क में छोटानागपुर भाजपा नेताओं एवं कार्यकर्ताओं की बैठक इंदर सिंह नामधारी की अध्यक्षता में हुई, जिसमें वनांचल राज्य की मांग को लेकर आंदोलनात्मक कार्यक्रम करने और अलग राज्य लेने का संकल्प लिया गया। अटल बिहारी वाजपेयी छोटे राज्यों के पक्षधर थे।
27 सितंबर 1992 को तात्कालिक मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने कहा झारखंड मेरी लाश पर बनेगा। उनके इस बयान के विरोध में आंदोलनकरियों ने पूरे राज्य में विरोध, प्रदर्शन और पुतला दहन किया और कई जिलों में पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया गया कई गिरफ्तार हुए कई लोगों को जेल भेजा गया।
1994 में वनांचल भाजपा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को बनाया गया। उन्होंने नेतृत्व में पांच वर्षों तक वनांचल भाजपा के बैनर तले अलग राज्य के लिए विविध कार्यक्रम चलते रहे।
1998 में में पिछड़ा राज्य पुनर्गठन विधयक तैयार कर स्वीकृति के लिए बिहार सरकार को भेजा जिसे राज्य सरकार ने विधानसभा में नामंजूर कर दिया। 1999 में केंद्र में भाजपा नेतृत्व की सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने। 9 फरवरी 2000 में जमशेदपुर के साकची स्थित बारी मैदान में विधानसभा चुनाव के लिए आयोजित सभा को सम्बोधित किया। उनके साथ मंच पर तत्कालीन जमशेदपुर पूर्वी के विधायक रघुवर दास, जमशेदपुर सांसद आभा महतो भी मौजूद थीं।
उसी दिन सुबह शहर के जुबली पार्क में एक व्यवसायी की हत्या हुई थी, अटल जी ने कहा था कि बिहार में जंगलराज चल रहा है, कोई सुरक्षित नहीं है। इसके बाद उन्होंने कार्यकर्ताओं को अलग वनांचल राज्य बनाने की मुहिम तेज करने का निर्देश दिया। उस समय संयुक्त बिहार के झारखंड क्षेत्र से यशवंत सिन्हा, रीता वर्मा, बाबूलाल मरांडी, कड़िया मुंडा केंद्रीय मंत्री बने थे।
झारखंड से जीते सांसदों ने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को एक पत्र लिखा, जिसमे कहा गया था कि चुनाव प्रचार के दौरान जब आप रांची आये थे, तो मोराबादी मैदान में कहा था कि केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनती है, और इस क्षेत्र से अधिक सांसद जीते तो अलग राज्य देंगे। माननीय प्रधानमंत्री जनता ने आकांक्षाओं को पूरा किया, जनभावना की कद्र करें। अलग राज्य का बिल संसद में अगले सत्र में नहीं लाया जाता है तो हम सभी सांसद सामूहिक इस्तीफा दे देंगे। पत्र में कड़िया मुंडा, रामटहल चौधरी, शैलेंद्र महतो, दुखा भगत, लक्ष्मण गिलुआ, यशवंत सिन्हा, बाबूलाल मरांडी और रीता वर्मा आदि ने हस्ताक्षर किये थे। प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों से इस मामले में अपने कार्यालय में व्यक्तिगत रूप से बात किया। सांसदों ने कहा कि यह मात्र एक पत्र नही जनता की गुहार है, आप अलग राज्य गठन का निर्णय लें। अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा हम जनता की इच्छा पूरा करेंगे।
25 अप्रैल 2000 को बिहार राज्य पुनर्गठन विधयक को स्वीकृति प्रदान की गई। 2 अगस्त को लोकसभा और 11 अगस्त 2000 को राज्यसभा में बिहार राज्य पुनर्गठन बिल पारित किया गया। 25 अगस्त को राष्ट्रपति के आर नारायणन ने हस्ताक्षर किया। 15 नवम्बर को झारखंड भारत के 28वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। रात 1 बजकर 5 मिनट पर बाबूलाल मरांडी को प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। झारखंड राज्य गठन में उनका योगदान राज्यवासी हमेशा याद करेंगे। झारखंड के सर्वांगीण विकास में उनके विचारों और सिद्धांतों को विरासत के रूप में संगठन-शासन पद्धति में अपनाने और हरा भरा वन, स्वर्ग जयसन सुंदर, सबसे सुखी संपन्न, हमर सोना और हीरा झारखंड को सहेजने और संवारने की जरूरत है।
हर दौर की राजनीति में अटल बिहारी जैसे दूरदृष्टि, अटल इरादा के स्वामित्व और उदार व्यक्तित्व की जरूरत हमेशा है।
बाधाएं आती हैं आएं, घिरें प्रलय की घोर घटाएं,
पांवों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,
निज हाथों से हंसते-हंसते, आग लगाकर जलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।
उद्यानों में, वीरानों में, अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना, पीड़ाओं में पलना होगा!
कदम मिलाकर चलना होगा।

कदम मिलाकर चलना होगा।

(लेखक भाजपा ओबीसी मोर्चा झारखंड प्रदेश अध्यक्ष हैं।)

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