हजारीबाग। धरती आबा बिरसा मुंडा के 150 वी जयंती के अवसर पर हजारीबाग बस स्टैंड स्थित उनके प्रतिमा पर माल्यार्पण वाम दलों के द्वारा किया गया। इस अवसर पर हजारीबाग के पूर्व सांसद और सीपीआई की वरिष्ठ नेता भुवनेश्वर प्रसाद मेहता ने कहा कि बिरसा मुंडा के 125 वीं जयंती के अवसर पर झारखंड राज्य का निर्माण हुआ और झारखंड राज्य के निर्माण के तत्काल बाद जो भाजपा की सरकार झारखंड में बनी वह झारखंड का विरोधी ही थी। वह सरकार वनांचल बनाने के पक्ष में था, लेकिन झारखंडी जनता के दबाव में झारखंड को ऊपर मन से स्वीकार किया। भाजपा सरकार में आते ही बिरसा मुंडा के सपनों को चकनाचूर करने लगा।इस राज्य की जो स्थापना जल जंगल जमीन की रक्षा के लिए किया गया था बात लेकिन भाजपा इसके उल्टे बड़े-बड़े कॉरपोरेट को बुलाकर झारखंड की जल, जंगल, जमीन को लूटवाने का काम किया जो आज तक जारी है। आप अगर गौर से देखें तो झारखंड बनने के बाद झारखंड में विस्थापन की समस्या लगातार बढ़ती गई और इसके खिलाफ भाजपा सरकार ने कुछ नहीं किया। यह बहुत ही अफसोस की बात है कि राज्य गठन के 24 वर्ष गुजर जाने के बाद भी आदिवासी आयोग का गठन नहीं किया गया और नहीं विस्थापन रोकने का कोई मुकम्मल इंतजाम किया गया। आज भी यहां के मूलवासी रोजगार के चक्कर में दिल्ली, मुंबई, चेन्नई सहित कई महानगरों में जा रहे हैं। जब कि झारखंड के गर्भ में जो खनिज संपदा है उस पर आधारित यदि यहां उद्योग लगाया जाता और उसमें स्थानीय लोगों को नौकरी दी जाती तो झारखंड में विस्थापन का नाम नहीं रहता। आज जो सीएनटी एक्ट है वह बिरसा की शहादत का परिणाम है। बिरसा की शहादत के बाद आदिवासियों के बढ़ते असंतोष को दबाने के लिए अंग्रेजी हुकूमत में सीएनटी एक्ट 1908 बनाया ताकि असंतोष को दबाया जा सके। सीपीएम नेता गणेश कुमार सीटू ने कहा कि झारखंड में भाजपा सरकार बनने के बाद सरकार बिरसा मुंडा के उलगुलान का सौदा करने लगी देखते-देखते सरकार ने 27 अगस्त 2008 तक 74 बड़ी परियोजनाओं के लिए बड़े उद्योगपतियों के साथ एम ओ यू साइन कर दिया। इस एमओयू के आधार पर आर्सेलर मित्तल कंपनी को स्टील प्लांट के लिए 25000 एकड़, टाटा स्टील को ग्रीन फील्ड नमस्ते के लिए 10400 एकड़ जमीन की एम ओ यू साइन किया गया। आज तक झारखंड सरकार ने कुल 98 एम ओ यू पर साइन किया है। इन तमाम एमओयू यदि लागू होती है तो झारखंड की लगभग 2 लाख एकड़ जमीन उद्योगपतियों को सरकार सौंप देगी। ऐसी स्थिति में झारखंड के गांव के गांव उजड़ जाएंगे, जिससे सबसे अधिक बिरसा मुंडा के आदिवासी लोग प्रभावित होंगे और जिस जल जंगल जमीन के लिए बिरसा मुंडा ने उलगुलान कर अंग्रेजों से लोहा लिया था वह उलगुलान समाप्त हो जाएगा। आदिवासी मूलवासी दर-दर की ठोकरे खाने के लिए मजबूर हो जाएंगे। बहुत ही दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि जिस राज्य की स्थापना बिरसा मुंडा के नाम पर और उनके जयंती पर किया गया उसी राज्य में आदिवासियों को बेदखल करने के लिए उपरोक्त एमओयू साईन किया गया है। यह बड़ी विडंबना है कि अंग्रेजों ने पीपुल इंटरेस्ट ” जनहित” के नाम पर और आजादी के बाद नेशनल इंट्रेस्ट ” राष्ट्रहित” के नाम पर आदिवासियों, मूलवासियों, दलितों के जमीन को लूटा गया और इन ग्रामीणों को राष्ट्रहित से बाहर रखा गया जैसे लोग जूता और चप्पल को बाहर रखते हैंं। इसलिए आज यह जरूरी है कि बिरसा मुंडा के उलगुलान के आदर्शों को जिंदा रखते हुए जल, जमीन, जंगल के रक्षा के लिए आंदोलन को तेज करना होगा, तभी हम लोग बिरसा के सपनों को साकार कर सकते हैंं, वरना सिर्फ बिरसा मुंडा के प्रतिमा को माला पहनाने से बिरसा के सपना साकार नहीं होगा। इस अवसर पर सीपीआई केमहेंद्र राम, निजाम अंसारी, ईश्वर मेहता, अशोक कुमार मेहता, शौकत अनवर , सी पी आई एम के जिला सचिव ईश्वर महतो, तपेश्वर राम, लक्ष्मी नारायण सिंह, सुरेश कुमार दास, विपिन कुमार सिन्हा सहित वाम दल के कई सदस्य उपस्थित थे।
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