सूचना भवन चाईबासा में कलाकृतियों की प्रदर्शनी का आयोजन

चाईबासा :   सूचना भवन चाईबासा में एक अद्भुत कलाकृतियों की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। यह प्रदर्शनी पुराने और अनुपयोगी ध्वनि उपकरणों, मशीन उपकरणों और अन्य सामग्रियों से तैयार की गई कलाकृतियों का शानदार संग्रह प्रस्तुत करती है। प्रदर्शनी का उद्देश्य पुराने उपकरणों को नए रूप में प्रस्तुत करना और उनके पुनः उपयोग को प्रोत्साहित करना है।

प्रदर्शनी में प्रदर्शित सभी कलाकृतियां जनसंपर्क विभाग द्वारा तैयार की गई हैं, जिनमें आज़ादी के पूर्व से लेकर वर्तमान तक के अनुपयोगी उपकरणों का पुनः उपयोग किया गया है। इन उपकरणों में पुराने रेडियो, चोंगा, एमप्लीफायर, मिक्सर मशीन, बैटरी चार्जर, VCR, रॉड, चैन, चम्मच, माइक स्टैंड, टाईपराइटर, स्पीकर, UPS, स्टेबलाइजर, प्रोजेक्टर, स्पीकर बॉक्स, चोंगा हैंगर, टेप रिकॉर्डर और अन्य सामग्रियां शामिल हैं। इन सभी सामग्रियों को विशेष रूप से सुंदर कलाकृतियों में बदल दिया गया है, जिन्हें आम नागरिकों द्वारा देखा जा सकता है।

प्रदर्शनी का उद्घाटन 24 जनवरी 2025 को हुआ, और यह 31 जनवरी तक जनता के लिए खुली रहेगी। प्रदर्शनी का समय सुबह 11:00 बजे से लेकर शाम 6:00 बजे तक निर्धारित किया गया है। इस दौरान लोग इन कलाकृतियों को देख सकते हैं और समझ सकते हैं कि पुराने और अनुपयोगी उपकरणों का पुनः उपयोग किस तरह से किया जा सकता है।

आज प्रदर्शनी का अवलोकन चाईबासा के ज्ञानचंद्र जैन कॉमर्स कॉलेज के छात्रों, शिक्षकों और अन्य नागरिकों द्वारा किया गया। मौके पर विद्यालय के एक शिक्षक ने कहा कि यह प्रदर्शनी हमें यह सिखाती है कि किस प्रकार हम अनुपयोगी सामग्रियों का पुनः उपयोग कर, उन्हें नए रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि बच्चों को यहां बहुत कुछ सीखने को मिलेगा, और वे प्रेरित होकर अपने घरों और स्कूलों में पुराने सामानों का उपयोग करके कलाकृतियां बना सकते हैं।

इस प्रदर्शनी का उद्देश्य लोगों को यह दिखाना है कि पुराने और उपयोग से बाहर हो चुके उपकरणों को भी कलात्मक रूप में ढाला जा सकता है, जिससे न केवल इन वस्तुओं का पुनः उपयोग होता है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रदर्शनी से यह संदेश भी मिलता है कि पुराने उपकरणों और सामग्रियों को फेंकने की बजाय उनका पुनः उपयोग करके न केवल हमें आर्थिक लाभ हो सकता है, बल्कि यह हमारे रचनात्मक कौशल को भी निखारता है।

इस तरह की प्रदर्शनी न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि हमें अपने पुराने सामानों को सहेज कर रखना चाहिए और उनका सदुपयोग करके हम अपने समाज और पर्यावरण के लिए कुछ सकारात्मक कर सकते हैं। प्रदर्शनी में दिखाए गए कलाकृतियों के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि यदि हमारे पास सही दृष्टिकोण और कौशल हो, तो हम किसी भी वस्तु को कला का रूप दे सकते हैं।

चाईबासा के नागरिकों और छात्रों ने इस प्रदर्शनी का पूरा आनंद लिया और उन्होंने इसे एक शानदार प्रयास के रूप में सराहा। यह प्रदर्शनी निश्चित ही लोगों को पुराने सामानों के प्रति एक नई दृष्टि और सोच प्रदान करती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *