अनिता मौत प्रकरण : पूर्व एसडीओ की अग्रिम जमानत याचिका पर नहीं हुई सुनवाई

हजारीबाग। हजारीबाग के पूर्व एसडीओ अशोक कुमार अपनी पत्नी की हत्या के मामले में दाखिल अग्रिम जमानत याचिका पर बुधवार को सुनवाई नही हो सकी। अपर न्यायाधीश छह काशिका एम प्रसाद की अदालत ने एबीपी नम्बर 133/2025 में सुनवाई होनी थी। लोहसिंघना थाना पुलिस ने अदालत में केस डायरी प्रस्तुत किया। केस डायरी प्रस्तुत होने के बाद अदालत ने दो दिनों के बाद सुनवाई की तारीख सुनिश्चित की है। अब अगली सुनवाई 31 जनवरी को अदालत में होगी।

आरोपियों पर कार्रवाई नहीं होनै से पुलिस के खिलाफ भड़का रहा आक्रोश, महिलाओं ने थाना घेरा

लोहसिंघना थाना परिसर के बाहर सोमवार को दोपहर में स्वर्गीय अनीता देवी के परिजनों और स्थानीय संगठनों द्वारा न्याय की मांग को लेकर व्यापक प्रदर्शन हुआ। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व संकट मोचन संस्थान की निदेशक अमीषा प्रसाद ने किया। सैकड़ों महिलाओं ने थाना घेराव कर अपनी आवाज बुलंद की, जिसमें प्रमुख मुद्दा तत्कालीन एसडीओ अशोक कुमार की गिरफ्तारी का रहा, जो अब तक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं।

यह मामला उस समय सुर्खियों में आया जब स्वर्गीय अनीता देवी के साथ हुए कथित अन्याय और उनकी मृत्यु के पीछे तत्कालीन एसडीओ अशोक कुमार की भूमिका पर सवाल उठाए गए। परिजनों का आरोप है कि प्रशासन की लापरवाही और अभियुक्त को अब तक गिरफ्तार न करने के कारण वे न्याय से वंचित हैं।

थाना परिसर में घंटों तक महिलाओं का जमावड़ा रहा। प्रदर्शनकारियों ने तख्तियों और नारेबाजी के जरिए अपनी मांगें रखीं। उन्होंने एसडीओ अशोक कुमार की गिरफ्तारी की मांग करते हुए कहा कि अगर यह मामला जल्द ही सुलझाया नहीं गया, तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन छेड़ने को मजबूर होंगे।

घेराव के दौरान थाना प्रभारी ने प्रदर्शनकारियों से संवाद स्थापित करने की कोशिश की। उन्होंने सभी को शांत रहने की अपील करते हुए कहा कि मामले की जांच तेज कर दी गई है और अभियुक्त को एक सप्ताह के भीतर गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

थाना प्रभारी के इस आश्वासन पर प्रदर्शनकारी थोड़ा नरम पड़े, लेकिन उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि यदि इस अवधि में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो वे विधानसभा का घेराव करेंगे। अमीषा प्रसाद ने कहा, “यह सिर्फ अनीता देवी के परिवार का मामला नहीं है, बल्कि यह समाज की हर उस महिला का सवाल है, जो न्याय की उम्मीद रखती है।

अमीषा प्रसाद और महिलाओं की एकजुटता

संकट मोचन संस्थान की निदेशक अमीषा प्रसाद ने प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए कहा कि यह आंदोलन समाज में न्याय और समानता की स्थापना के लिए है। “यदि न्याय प्रणाली निष्पक्ष नहीं होगी, तो हम इसे निष्पक्ष बनाने के लिए संघर्ष करेंगे। महिलाओं की इस एकजुटता को देखकर यह स्पष्ट है कि अन्याय के खिलाफ खड़ा होना अब जरूरी हो गया है।”

इस घेराव ने प्रशासन और पुलिस पर दबाव बनाया है। थाना प्रभारी द्वारा दिए गए एक सप्ताह के आश्वासन के बाद प्रदर्शनकारियों ने फिलहाल अपना आंदोलन स्थगित कर दिया है। हालांकि, परिजनों और महिलाओं ने चेतावनी दी है कि यदि पुलिस ने इस बार भी अपनी बात पर अमल नहीं किया, तो आने वाले दिनों में यह आंदोलन और भी उग्र रूप ले सकता है।

यह घटना न केवल न्याय प्रणाली पर सवाल खड़े करती है, बल्कि समाज में महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों को लेकर भी बड़ी बहस छेड़ती है। अनीता देवी का मामला हर उस पीड़ित व्यक्ति की कहानी है, जिसे न्याय के लिए संघर्ष करना पड़ता है।

प्रशासन और पुलिस के लिए यह समय है कि वे अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लें और मामले को जल्द से जल्द सुलझाकर जनता का विश्वास जीतें। वहीं, महिलाओं की इस एकजुटता ने यह साबित कर दिया है कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का साहस ही सामाजिक बदलाव का पहला कदम है।

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