कोल इंडिया प्रबंधन के फैसले से देश के कोयला मजदूर आक्रोशित

कोल इंडिया के 50 वां स्थापना दिवस का किया बहिष्कार   

हजारीबाग। सीआईटीयू के हजारीबाग जिला उपाध्यक्ष गणेश कुमार सीटू ने कहा है कि भारत सरकार की नवरत्न कंपनियों में से एक कोल इंडिया लिमिटेड तीन नवंबर  को अपना 50 वां साल पूरा कर रहा है। इस अवसर पर कोल इंडिया प्रबंधन ने कोलकाता के न्यू टाउन में स्थित विश्व बांग्ला कन्वेंशन सेंटर में कोल इंडिया का 50 वां स्थापना दिवस मनाने का फैसला लिया है। इस संबंध में कोल इंडिया प्रबंधन ने कोल इंडिया में कार्यरत मान्यता प्राप्त यूनियन को इस स्थापना दिवस में भाग लेने का निमंत्रण भेजा है। लेकिन 30 अक्तूबर को कोल इंडिया लिमिटेड बोर्ड ने कोलकाता में जो फैसला लिया है, उससे देश के तमाम कोयलाकर्मी काफी आक्रोशित हैं।

प्रबंधन ने फैसला लिया है कोल इंडिया के 50 वां स्थापना दिवस के अवसर पर कंपनी में कार्यरत सभी अधिकारियों को उपहार स्वरूप उनके पद के अनुसार मोबाइल फोन खरीदने के लिए 60,000 रुपए से लेकर 30,000 रुपए तक दिया जाएगा। बोर्ड के फैसले के अनुसार ई-9 को 60000, ई 7-8 को 50, 000, ई 4-5-6 को 40,000 और ई-3 या इसके नीचे के अधिकारियों को ₹30, 000 दिया जाएगा। गणेश कुमार सीटू ने यह भी बताया कि वित्तीय वर्ष 2023-24 (1-4-2023 से 31-3-2024 तक) में कोल इंडिया लिमिटेड को  37, 402. 29 करोड़ रुपए का जो फायदा हुआ है, वह सिर्फ अधिकारियों की मेहनत से नहीं, बल्कि कोल इंडिया में काम करने वाले लगभग ढाई लाख मजदूरों की मेहनत का भी परिणाम है।

स्थापना दिवस के अवसर पर सिर्फ अधिकारियों को कीमती उपहार देना और कोयला कर्मियों को नजर अंदाज कर देना यह कोल इंडिया प्रबंधन का गलत फैसला है। इस फैसले से कोल इंडिया प्रबंधन को भविष्य में बहुत नुकसान उठाना पड़ेगा। इसलिए कोयला उद्योग में कार्यरत सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन ( सीआईटीयू ), भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस ) और हिंद मजदूर सभा ( एचएमएस ) ने संयुक्त रूप से कोल इंडिया के निदेशक (पी एंड आई आर ), कोलकाता को एक नवम्बर  को पत्र लिखकर कोल इंडिया के 50 वां स्थापना दिवस का बहिष्कार किया है। यूनियन नेताओं का स्पष्ट कहना है कि अधिकारियों को जब आप उपहार दे रहे हैं, तो कोयला कर्मियों को भी उपहार देना चाहिए, यही स्वस्थ परंपरा है और इसी में कोयला उद्योग की भलाई भी है। अधिकारियों को उपहार देना और कोयला कर्मियों को नजरअंदाज कर देना सरासर गलत है। इसलिए उपरोक्त यूनियनों ने इतना कठोर फैसला लेने के लिए बाध्य हुआ है।

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