ब्राह्मचारी कैवल्यानंद जी महाराज का प्रयागराज में निधन: शंकराचार्य शिष्य मंडली में शोक की लहर

प्रयागराज/चक्रधरपुर :  शंकराचार्य स्वरूपानंद जी सरस्वती द्वारा स्थापित विश्व कल्याण आश्रम के प्रमुख ब्रह्मचारी कैवल्यानंद जी महाराज का 76 वर्ष की आयु में प्रयागराज में निधन हो गया। वे कुंभ स्नान के लिए प्रयागराज गए थे, जहां उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनका निधन हो गया।

ब्रह्मचारी कैवल्यानंद जी महाराज 24 जनवरी को विश्व कल्याण आश्रम से चक्रधरपुर गए थे। वहां से 25 जनवरी को वे उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के लिए रवाना हुए थे। 28 जनवरी, बुधवार सुबह, प्रयागराज स्थित मनकामेश्वर मंदिर से नीचे उतरते वक्त अचानक उन्हें दिल का दौरा पड़ा। मंदिर से नीचे आते समय उनकी तबियत बिगड़ी और उन्हें तत्काल उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक उनका निधन हो चुका था।

ब्रह्मचारी कैवल्यानंद जी महाराज के निधन की खबर से शंकराचार्य स्वरूपानंद जी की शिष्य मंडली में शोक की लहर दौड़ गई है। वे पिछले 49 वर्षों से विश्व कल्याण आश्रम के प्रभारी थे और शंकराचार्य के बहुत करीबी रहे थे। उनके योगदान से आश्रम में कई सकारात्मक बदलाव हुए थे और उन्होंने सैकड़ों छात्रों को आध्यात्मिक शिक्षा दी। उनका निधन धार्मिक और आध्यात्मिक जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

ब्रह्मचारी जी का जन्म मध्यप्रदेश के सिवनी जिले के कमकासुर गांव में हुआ था। वे एक साधारण परिवार से थे, लेकिन उनकी धार्मिक रुचि और साधना के प्रति समर्पण ने उन्हें आश्रम से जोड़ा और वे शंकराचार्य के शिष्य बने। उन्होंने पूरी जिंदगी समर्पित भाव से समाज सेवा की और न केवल आश्रम के कार्यों को बढ़ाया, बल्कि क्षेत्र के कई लोगों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन भी दिया।

ब्रह्मचारी कैवल्यानंद जी के नेतृत्व में, विश्व कल्याण आश्रम ने समाज में कई महत्वपूर्ण कार्य किए। वे जीवनभर ध्यान, साधना, और समाज के कल्याण के लिए प्रयासरत रहे। उनके निधन से आश्रम को अपूरणीय क्षति हुई है और उनके अनुयायी उनके कार्यों और शिक्षाओं को हमेशा याद करेंगे।

श्रद्धांजलि:

 ब्रह्मचारी जी का निधन विश्व कल्याण आश्रम के लिए तो एक गहरी क्षति है ही, लेकिन उनके द्वारा किए गए कार्यों और शिक्षाओं के कारण वे हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा और उनकी प्रेरणा हमेशा लोगों को मार्गदर्शन देती रहेगी। उनकी पुण्यात्मा को शांति मिले और उनके अनुयायी उनके कार्यों को आगे बढ़ाने का संकल्प लें।

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