अब आयी भाजपा को ‘हो’ भाषा की याद

भाषा के सहारे वोटर साधने का प्रयास

Ranchi-बीजेपी अब जनजातीय भाषा के सहारे राजनैतिक हित साधने के नेरेटिव पर चलने का प्रयास कर रही है। हाल के दिनों में झारखण्ड में चुनाव होना है ऐसे में सभी पार्टियाँ एक नेरेटिव सेट करना चाहती है, इस बार बीजेपी भाषायी मुद्दे को उछाल रही है , हालाँकि इस मामले में ये दांव उलटा पड़ता दिख रहा है। हाल के दिनों में बीजेपी के शामिल हुए एक पूर्व ख्यमंत्री के सहारे यह प्रयास किया गया था। इस मामले में इससे पहले कि बीजेपी कोई माइलेज ले पाती मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के एक ट्वीट ने सब खेल ख़राब कर दिया। ट्विटर पर श्री सोरेन ने लिखा किउन्होंने इस विषय पर 21 अगस्त, 2020 को ही गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा था लिखे गए पत्र में विषय था ‘मुंडारी, हो, उरांव/कुडुक भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध।’ पत्र में श्री सोरेन ने कहा कि ये भाषाएं झारखंड की विभिन्न जनजातियों द्वारा बड़े पैमाने पर बोली जाती हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इन भाषाओं के विकास के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है। पत्र में यह भी कहा गया है कि चूंकि इन भाषाओं में समृद्ध जातीय और वंशावली शब्दावली है, इसलिए इन्हें आठवीं अनुसूची में शामिल करने से इन भाषाओं को और विकसित होने और फलने-फूलने का अवसर मिलेगा और ये हमारे देश की समग्र संस्कृति को समृद्ध करने में योगदान देंगी। चार भाषाओं में से संथाली को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है। श्री सोरेन ने कहा कि शेष तीन पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

गृहमंत्री का मिला आश्वासन

असम सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने आदिवासी “हो” समाज युवा महासभा और अखिल भारतीय हो भाषा एक्शन कमेटी के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। सरमा ने मीडिया से कहा कि गृहमंत्री ने इस प्रतिनिधिमंडल की बात सुनी और आश्वासन दिया कि भारत सरकार उनकी इस मांग पर विचार करेगी।

अभी तक आठवीं अनुसूची में ये कुल 22 भाषाएं हैं शामिल

असमिया, बंगला, बोड़ो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलगू और उर्दू भाषाएं शामिल हैं।

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