विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग में चर्चा का विषय बना वित्त विभाग का कारनामा
साजिश के तहत पूर्व में स्थानांतरित किए गए पांच शिक्षकों के वेतन भुगतान रोकने के लिए कर दी प्रतिकूल टिप्पणी
कुलपति से कुलाधिपति तक पहुंच चुका है मामला, सांसद ने भी पीड़ित शिक्षकों का किया सहयोग
हजारीबाग। विनोबा भावे विश्वविद्यालय में इन दिनों वेतन के लिए कुछ शिक्षकों को तरसना पड़ रहा है। वह भी नियमित अपने दायित्व का निर्वहन करने के बावजूद यह हालत है।
अभी ताजा मामला विनोबा भावे विश्वविद्यालय के शिक्षाशास्त्र विभाग का है। अक्तूबर माह का वेतन इन शिक्षकों को समय पर प्राप्त नहीं हुआ। दिवाली से लेकर छठ तक सभी पर्व त्योहार शिक्षकों को बिना वेतन के ही गुजारना पड़ा। कोई कारण भी नहीं बताया गया।
इस संबंध में शिक्षा शास्त्र विभाग के शिक्षकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जब कुलपति से सोमवार को मिलकर इसकी जानकारी दी तो कुलपति आश्चर्य चकित रह गए। सूचना है कि उन्होंने तत्काल विषय पर पूर्ण संज्ञान लिया एवं इस संबंध में शिक्षाशास्त्र विभाग के निदेशक को तलब किया। जब निदेशक ने बताया कि वह बहुत दिन पहले ही संचिका को तैयार कर ससमय समर्पित कर दिए हैं, तब संचिका की तलाश करवाई गई। तब बात निकलकर सामने आयी कि संचिका वित्त विभाग में ही पड़ी हुई है। अब जो विषय की चर्चा विश्वविद्यालय में हो रही है वह यह है कि या तो वित्त पदाधिकारी पूरी तरह से उदासीन हैं या नहीं तो उन्होंने जानबूझकर शिक्षकों को प्रताड़ित करने के उद्देश्य से अपनी शाखा को फाइल को दबाने का संदेश दे रखा था। शिक्षक इस बात से अधिक आहत है कि वित्त पदाधिकारी ने इतना भी जरूरी नहीं समझा कि कुलपति से मिलकर इस विषय पर विमर्श कर लें।
एक अन्य मामला विश्वविद्यालय में जिन पांच शिक्षकों का नियम-परिनियम के विरुद्ध स्थानांतरण किया गया था उनसे संबंधित है। बताया जा रहा है कि इस मामले में भी वित्त पदाधिकारी ने कुलपति से पहले परामर्श नहीं किया। जानकारी मिली है कि वित्त विभाग ने शिक्षकों के वेतन पर प्रतिकूल टिप्पणी कर कुलपति के अनुमोदन को कठिन बनाने का प्रयास किया। संचिका में वस्तु स्थिति की जानकारी नहीं दी गई एवं शिक्षकों के विरुद्ध आधी-अधूरी बात लिखकर संचिका को बढ़ा दिया। परिणाम यह हुआ कि नियमित अपनी सेवा में रहने के बावजूद शिक्षकों को वेतन मे कटौती झेलनी पड़ी।
ज्ञात हो कि इस बीच हजारीबाग के सांसद मनीष जायसवाल ने झारखंड के राज्यपाल सह कुलाधिपति को वस्तुस्थिति की जानकारी दी। इसके बाद विश्वविद्यालय द्वारा पदभार हस्तांतरण संबंधी जारी की गई अधिसूचना को स्थगित भी कर दिया गया है।
बहरहाल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर पवन कुमार पोद्दार की सकारात्मक पहल एवं कड़े कदम की चौतरफा प्रशंसा हो रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि कम से कम शिक्षाशास्त्र विभाग के शिक्षकों को अगले दो-तीन दिनों में अक्तूबर माह का वेतन मिल जाएगा।