स्वामी दिव्यज्ञान
ट्रांसलेशनल बायोइन्फॉर्मेटिक्स विज्ञान की वह शाखा है, जो बायोइन्फॉर्मेटिक्स के सिद्धांतों को प्रयोगशाला और क्लिनिकल अनुसंधान से वास्तविक जीवन के उपयोग में बदलने का कार्य करती है। 5 से 7 दिसंबर 2024 को बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटी), मेसरा, रांची में आयोजित “ट्रांसलेशनल बायोइन्फॉर्मेटिक्स में उभरते रुझान” (ET²B-2024) सम्मेलन इसी दिशा में एक बड़ा कदम है।
यह तीन दिवसीय कार्यक्रम न केवल भारत, बल्कि वैश्विक शोधकर्ताओं और विद्वानों के लिए एक मंच प्रदान करेगा, जहाँ वे अपने अनुसंधान और अनुभव साझा कर सकेंगे। इस कार्यक्रम का उद्देश्य एआई, मशीन लर्निंग और जैव सूचना विज्ञान जैसे उभरते उपकरणों और प्रौद्योगिकियों के उपयोग को बढ़ावा देना है, जिससे रोगों की बेहतर समझ और उपचार में प्रगति हो सके।
ट्रांसलेशनल बायोइन्फॉर्मेटिक्स का महत्व: इस क्षेत्र का मुख्य उद्देश्य डेटा-संचालित शोध को रोगियों के इलाज और चिकित्सा क्षेत्र में सुधार के लिए उपयोग करना है। यह तकनीक बायोइन्फॉर्मेटिक्स डेटा को उपयोगी चिकित्सा साधनों और उपचार विधियों में परिवर्तित करती है। उदाहरणस्वरूप, कैंसर अनुसंधान में जीन अनुक्रमण और एआई का उपयोग रोग के जटिल पैटर्न को समझने और उपचार को वैयक्तिकृत करने में क्रांति ला रहा है।
ET²B-2024 का उद्देश्य इन विषयों पर गहन चर्चा करना और शोधकर्ताओं को उन्नत तकनीकों के व्यावहारिक उपयोग के लिए प्रेरित करना है।
सम्मेलन के मुख्य बिंदु:
पहला दिन (5 दिसंबर): एआई-एमएल और बिग डेटा का रोग जीवविज्ञान में अनुप्रयोग
पहला दिन उन्नत कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML) तकनीकों पर केंद्रित होगा। बिग डेटा एनालिटिक्स के उपयोग से जटिल रोगों के कारणों को समझना और उनका इलाज ढूंढना आसान हो सकता है।
दूसरा दिन (6 दिसंबर): आणविक मॉडलिंग और संरचनात्मक जैव सूचना विज्ञान
आणविक स्तर पर जैविक प्रक्रियाओं की सटीक मॉडलिंग और संरचनात्मक विश्लेषण नई दवाओं और उपचारों के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
तीसरा दिन (7 दिसंबर): सिस्टम और गणितीय जीवविज्ञान द्वारा रोगों की समझ
सिस्टम जीवविज्ञान जटिल जैविक प्रणालियों का समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है, जो जटिल रोगों की समझ को गहराई देता है।
भारत के संदर्भ में ट्रांसलेशनल बायोइन्फॉर्मेटिक्स: भारत में जैव सूचना विज्ञान अनुसंधान और चिकित्सा क्षेत्र में तेजी से प्रगति हो रही है। इस दिशा में ET²B-2024 जैसे सम्मेलन भारतीय शोधकर्ताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने काम को मान्यता दिलाने और वैश्विक सहयोग बनाने का अवसर प्रदान करते हैं। यह सम्मेलन विशेष रूप से झारखंड राज्य के लिए एक ऐतिहासिक कदम है, क्योंकि यह स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के बीच पुल का कार्य करेगा।
वैज्ञानिक नवाचार के लिए आगे का रास्ता: इस सम्मेलन का आयोजन बायोइंजीनियरिंग और बायोटेक्नोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. कुशल मुखोपाध्याय के नेतृत्व में किया जा रहा है। उन्होंने सम्मेलन के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा, “यह कार्यक्रम अनुसंधान में नवाचार और खोज को बढ़ावा देने के लिए एक प्रभावशाली मंच साबित होगा।”
डॉ. आलोक जैन और आयोजन सचिवों प्रो. राजू पोद्दार और डॉ. कोएल मुखर्जी ने इस बात पर जोर दिया कि यह सम्मेलन न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, बल्कि समाज पर प्रभाव डालने के लिहाज से भी महत्वपूर्ण होगा।
निष्कर्ष: ET²B-2024 सम्मेलन यह प्रमाणित करता है कि ट्रांसलेशनल बायोइन्फॉर्मेटिक्स में निवेश करना न केवल विज्ञान के विकास के लिए आवश्यक है, बल्कि यह मानवता की भलाई और बेहतर भविष्य के लिए भी अपरिहार्य है। यह सम्मेलन न केवल झारखंड बल्कि पूरे भारत में बायोइन्फॉर्मेटिक्स के लिए एक नई दिशा निर्धारित करेगा।