गांव के उत्थान और समाजसेवा का उत्कृष्ट उदाहरण : बृजबिहारी पांडेय की ऐतिहासिक पहल

मझिआंव (गढ़वा)। शिक्षा और सामाजिक उत्थान के क्षेत्र में अपनी अनुकरणीय सेवाओं के लिए पहचाने जाने वाले बृजबिहारी पांडेय, जो अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के पूर्व राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रह चुके हैं, ने अपने पैतृक गांव दलको में विकास और समर्पण की एक नई मिसाल पेश की। सोमवार को उन्होंने गांव के उत्तर में स्थित ध्वस्त हो चुके प्राचीन देवबृक्ष पीपल के स्थान पर नया पीपल का पौधा लगाकर अपने गांव की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया।

इस मौके पर श्री पांडेय ने भावुक होकर कहा, “जैसे-जैसे यह पीपल का पौधा बढ़ेगा, वैसे-वैसे मेरा गांव भी विकास की नई ऊंचाइयों को छुएगा।” उन्होंने गांववासियों से अपील की कि वे अपने गांव के उत्थान में हरसंभव सहयोग दें और एकजुट होकर इसके समृद्ध भविष्य की दिशा में काम करें।

शिक्षा के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान


शिक्षा के प्रति अपनी गहरी प्रतिबद्धता के लिए प्रसिद्ध श्री पांडेय ने देशभर में शिक्षकों के अधिकार, सम्मान और उनकी स्थिति में सुधार के लिए उल्लेखनीय कार्य किया है। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने प्राथमिक शिक्षकों की समस्याओं को राष्ट्रीय मंच पर उठाया और उनकी बेहतरी के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए। उनकी यह सेवाएं आज भी शिक्षकों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

उन्होंने शिक्षा को समाज के विकास का आधार मानते हुए कहा, “गांव और समाज का विकास तभी संभव है जब हमारी शिक्षा व्यवस्था मजबूत हो। शिक्षकों का उत्थान शिक्षा के स्तर को सुधारने का पहला कदम है।”

मंदिर और चबूतरे का पुनर्निर्माण: आध्यात्मिक धरोहर का सृजन


गांव की धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं को सहेजने के लिए श्री बृजबिहारी पांडेय ने न केवल पीपल का पौधा लगाया, बल्कि इसके साथ एक अत्यंत विशालकाय चबूतरे का भी निर्माण करवाया, जिसे ब्रह्म पिंड कहा जाता है। यह चबूतरा गांव की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को सजीव बनाए रखने का प्रतीक है।

इसके साथ ही श्री पांडेय ने गांव के ठाकुर बाड़ी मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। यह मंदिर अब पूरी तरह से विकसित धार्मिक स्थल के रूप में खड़ा है और गांव के श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक केंद्र बन चुका है।

ग्रामवासी और प्रमुख उपस्थित व्यक्तियों का योगदान



कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामवासी और प्रमुख गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इनमें द्वारिका नाथ पांडेय, योगेश्वर पांडेय, ललित शर्मा, कामाख्या नारायण पांडेय, धर्मराज तिवारी, मारकंडे पांडेय, नंदन कुमार पासवान, सुभाष पांडेय, चेतन पांडेय, उज्जवल दुबे और शिवम शर्मा शामिल रहे। सभी ने इस पहल को ऐतिहासिक बताते हुए गांव के विकास में अपना सहयोग देने का वादा किया।

एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व


बृजबिहारी पांडेय न केवल एक कुशल नेता और समाजसेवी हैं, बल्कि एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व भी हैं, जो हमेशा समाज के हर वर्ग की भलाई के लिए प्रयासरत रहते हैं। उन्होंने दिखाया है कि सच्चा नेतृत्व केवल बड़े पदों पर बैठे रहकर नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर कार्य करके दिखाया जाता है।

उनका यह कदम इस बात का उदाहरण है कि गांव का विकास केवल इमारतें खड़ी करने से नहीं होता, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों को सहेजकर और सामूहिक भागीदारी से ही हासिल किया जा सकता है।

समाज के लिए एक संदेश


बृजबिहारी पांडेय की यह पहल न केवल उनके गांव के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा है। उन्होंने साबित किया है कि यदि व्यक्ति अपनी जड़ों से जुड़ा रहे और समाज की भलाई के लिए प्रतिबद्ध हो, तो असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। उनका यह प्रयास आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मार्गदर्शक बनकर रहेगा।

यह देवबृक्ष और ब्रह्म पिंड अब गांव के पुनर्जीवन और समृद्धि का प्रतीक है। गांववासियों के सहयोग से यह आयोजन न केवल सफल रहा, बल्कि यह संदेश भी दिया कि एकता और समर्पण से हर लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।

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