आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच ने दी आंदोलन की चेतावनी
बोले मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष-जिन दागी आरोपियों को सरकार की ओर से जिन्हें सेवा से बर्खास्त किया जाना चाहिए, उनमे से कई लोगों को आईपीएस में प्रोन्नति देने के लिए यूपीएससी को अनुशंसा भेजी गई है जो सरकार की मंशा को जगजाहिर कराता है
जेपीएससी-1 एवं 2 की परीक्षा में तत्कालीन आयोग के अध्यक्ष, सदस्य, विधायक, मंत्री, पूर्व मंत्री और वकील के रिश्तेदारों ने अपने-अपने रिश्तेदारों को नियुक्त कराया
हजारीबाग। जेपीएससी-2 के नियुक्ति घोटाला में संलग्न पदाधिकारियों के खिलाफ सीबीआई द्वारा मांगी गई अभियोजन की स्वीकृति राज्य की हेमंत सरकार अविलंब दे। यह बात रविवार को आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केन्द्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने दो डीएसपी के अलावा 31 पदाधिकारियों के खिलाफ सीबीआई ने राज्य सरकार से अभियोजन स्वीकृति मांगे जाने पर अपनी प्रतिक्रिया में कही। उन्होंने आगे कहा कि जेपीएससी -2 नियुक्ति घोटाला की जांच करने में ही सीबीआई को 12 वर्षो से अधिक लगे तब जांच पूरी हुई है और उसके बाद आरोप पत्र दायर किया गया है। सीबीआई ने इस नियुक्ति घोटाले की जांच बहुत ही गंभीरता के साथ-साथ वैज्ञानिक तरीकों से किया और सीबीआई ने अभियुक्तों के खिलाफ भारतीय आईपीसी की धारा 420, 120 बी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13 (2) सहपाठी धारा 13 (1) डी के तहत कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।
श्री नायक ने आगे बताया कि आरोप पत्र मे जेपीएससी के तत्कालीन पदाधिकिरियों, परीक्षकों और तत्कालीन परीक्षार्थियों द्वारा सुनियोजित साजिश रचकर अयोग्य लोगों को परीक्षा में सफल घोषित करने का षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया गया है।
श्री नायक ने यह भी कहा कि यह आक्रोश का विषय है कि जिन दागी आरोपियों को सरकार की ओर से जिन्हें सेवा से बर्खास्त किया जाना चाहिए, उनमे से कई लोगों को आईपीएस में प्रोन्नति देने के लिए यूपीएससी को अनुशंसा भेजी गई है जो सरकार की मंशा को जगजाहिर करता है।
श्री नायक ने यह भी कहा कि जेपीएससी 1 एवं 2 की परीक्षा में तत्कालीन आयोग के अध्यक्ष, सदस्य, विधायक, मंत्री, पूर्व मंत्री और वकील के रिश्तेदारों ने अपने-अपने रिश्तेदारों को नियुक्त कराया। इसलिए जनता खासकर राज्य के युवाओं को हेमंत सरकार से आशा है कि भाजपा के कार्यकाल में हुए इस घोटाले का पर्दाफाश करने एवं राज्य के मेधावी युवाओं को न्याय दिलाने के लिए बिना लाग लपेट देरी किए बिना अविलंब अभियोजन स्वीकृति सीबीआई को दे दिया जाए और भ्रष्टाचार के विरुद्ध सरकार अपनी प्रतिबध्दता दिखाए, अन्यथा विलम्ब होने की दिशा में आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच आंदोलन करने को बाध्य होगी।