केजरीवाल डीप स्टेट का एजेंट ?

प्रो.के.पी.शर्मा

केजरीवाल एक विश्लेषण IIT का पढा, IRS की सेवा में रहा व्यक्ति, तीक्ष्ण बुद्धि का मालिक, क्यों IRS पद से इस्तीफा देता है?
क्या उसके कुछ गुप्त एजेंडा था? जिसके तहत उसने NGO का निर्माण किया और पुरस्कार पाया और गुप्त रूप से हिन्दू स्तान के NGO संघ का नेता की हैसियत से अपने आंदोलन में इन्हें राजनीतिक उद्देश्य केलिए लगाया जबकि NGO के निबंधन की शर्त है कि वे देश की राजनीति नहीं करेंगे, लेकिन केजरीवाल इन शर्तों का उल्लंघन कर NGO को राजनीति का गैर कानूनी हिस्सा बना दिया।एक अंतरराष्ट्रीय संडयंत्र NGO के तहत भारत में उजागर हुआ और केजरीवाल उसके नेता एवं एजेंट बनकर काम करते नजर आये।
आप पार्टी केजरीवाल के माध्यम से भारतीय और विश्व मामले में डीप स्टेट की दखलंदाजी जो आज हमज्ञदेखते हैं कभी NGO के माध्यम से यह काम भारत में हो रहा था केजरीवाल अपने गुप्त एजेंडा के माध्यम से यह का कर रहे थे जिसे उस समय और वर्तमान भारतीय सरकार समझ चुकी थी।
केजरीवाल शिकारी का जाल बिछाने की कला, ड्रामें की भूमिका, मनौवैज्ञानिक की सोच,गोयबल्स की प्रचार शक्ति, नटवरलाल की कलाबाजी और भ्रष्टाचार के प्रति जनता के मूड,और अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षी की पूर्ति के लिए गैर राजनीतिक व्यक्ति बनकर, समाज सेवी बनकर चरित्रवान गैर राजनीतिक अन्ना हजारे और देश के लाखों करोड़ों लोगों को अपनी जाल में फंसाया और एक मामूली पद लोकपाल को लाख दुखों की दबा बताकर ऐसे वातावरण का निर्माण किया की उस जाल में हजारीबाग में मैं,अव नहीं रहे स्वर्गीय नेहरू यादव, प्रोफेसर सुकल्याण मोइत्रा, श्री गणेश कुमार सीटू आदि भावावेश और भ्रष्टाचार के अंत का आंदोलन समझकर साथ दिया,जब आंदोलन देश की जनता के सहयोग से एक बड़े क्रांति का रूप धारण कर लिया तो इसने अपने राजनीतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति केलिए राजनीतिक दल के गठन का निर्णय लिया तथा उसके महत्वकांक्षा की पूर्ति में जो कोई बाधक हो सकते थे उन्हें निकाल बाहर किया सबसे पहले अन्ना को बेइज्जत कर निकाल बाहर किया, किरण वेदी, कुमार विश्वास, प्रो आनंद कुमार, सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता प्रशांत भूषण जैसे लाखों समर्पित लोगों को निकाल बाहर किया।
जब राजनीतिक दल का गठन हो रहा था तो मैं और हमारे साथी उस मिंटिंग में उपस्थित थे हम लोगों ने आंदोलन को क्रांति का स्वरूप लेने मदद किया और जब यह स्वरूप अख्तियार कर चुकी और इसमें देश के गैर राजनीतिक और राजनीति करने बाले कार्यकर्ता इसे सफल बनाने के लिए पुरजोर प्रयास किया था, हम लोग गैर राजनीतिक मंच के सहारे आंदोलन चलाना चाहते थे। दल के गठन के विरुद्ध थे लेकिन कुछ 50-100 लोगों के मीटिंग में हम लोगों के विरोध के बाद भी आप पार्टी का गठन हुआ।
मैंने बुकलेट लिखकर केजरीवाल और अन्ना आंदोलन के गुणगान गाये थे लेकिन महत्वकांक्षी केजरीवाल ने एक नहीं सुना और लाखों करोड़ों लोगों को देश का भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के प्रति केजरीवाल का विश्वास घात करते देखा।हमें अभी तक नहीं भूले हैं।
केजरीवाल ने जनता की भावना, दिल्ली राज्य के खजाने के साथ जैसा व्यवहार किया है वह अक्षम्य है, मीडिया का प्रयोग, अपने नाटकीय चरित्र का प्रयोग,राजके खजाने का दुरुपयोग, जनता के अशिक्षा और गरीबों के कमजोरी का उपयोग, जनता के खजाने को डोल बांटने, मीडिया को खरीदने जैसे अक्षम्य अपराध किए हैं दिल्ली की जैसी प्रबुद्ध जनता ने देर से सजा दिया, अब न्यायालय और आने वाली सरकार अगर कार्यवाही नहीं करती है तो हम दुबारा राजनीति से अपने आप को छलना मानेंगे, आप पार्टी में कुछ अच्छे लोग हैं वे राजनीति के शुद्धिकरण का कार्य करें।अंत में दिल्ली के जनता के निर्णय का समर्थन करता हूं।

(फेसबुक वाल से…लेखक विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग पीजी राजनीति विज्ञान विभाग के सेवानिवृत्त अध्यक्ष, प्रख्यात राजनीतिक विश्लेषक और वर्तमान में भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं।)

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