अपने बारे में निर्णय लेने की स्वतंत्रता ही नारी-मुक्ति : प्रोफेसर पूनम कुमारी
गांधी के अलावा विश्व के सामने कोई विकल्प नहीं : डॉ सादिक रज्जाक
स्त्री पुरुष समान नहीं, एक-दूसरे के पूरक : डॉ अशोक राम
हजारीबाग। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने नारी के विकास के लिए सर्वप्रथम नारी-मुक्ति की आवश्यकता को बताया था। अर्थात नारी के पास यह स्वतंत्रता विकसित हो कि वह स्वयं तय करें कि वह क्या बनना चाहती है और क्या करना चाहती है। यह बात पटना के पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पूनम कुमारी ने कही। वह विनोबा भावे विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग की ओर से आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं। कार्यशाला की अध्यक्षता विभाग अध्यक्ष डॉ सुकल्याण मोइत्रा ने की।
प्रोफेसर पूनम ने कहा कि आज महिला सशक्तीकरण की खूब चर्चा होती है। यह महिला उत्थान का पश्चिमी मॉडल है। गांधी जी ने स्पष्ट किया बिना नारी-मुक्ति के नारी-उत्थान संभव नहीं है। भारत में पश्चिमी मॉडल से महिलाओं का सही अर्थ में उत्थान नहीं हो सकता है। दुर्भाग्य वश आज भारत में पश्चिम महिला उत्थान का नकल करने की होड़ दिखती है। इसमें नारी की स्वच्छंदता पर बहुत अधिक बल दिया गया है। यह खतरनाक हो सकता है।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए समाज विज्ञान संकाय के अध्यक्ष डॉ सादिक रज्जाक ने कहा कि आज पूरी दुनिया में गांधी के बताए सूत्र स्वीकार किए जा रहे हैं। परंतु अफसोस कि हमारे ही देश में गांधी उपेक्षित हो रहे हैं।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए संत कोलंबा महाविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ अशोक राम ने कहा कि गांधी जी ने कभी नहीं कहा स्त्री और पुरुष समान हैं। ऐसा पश्चिम के एक्टिविस्ट कहते हैं। गांधी जी ने भारतीय दृष्टिकोण को प्रस्तुत करते हुए बताया था कि स्त्री और पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों के अलग-अलग गुण हैं। इसको समझे बिना न तो नारी और न ही पुरुष का सही विकास कर सकते हैं।
डीएवी पब्लिक स्कूल के पूर्व प्राचार्य सह राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक, सीएम एक्सीलेंस स्कूल के मैनेजर व वीवीएम के को-आर्डिनेटर अशोक कुमार ने भी कार्यशाला को संबोधित किया। विषय प्रवेश शोधार्थी सुनीता कुमारी ने किया। डॉ अजय बहादुर सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर विभाग के शोधार्थी तथा दोनों समसत्र के विद्यार्थी काफी संख्या में उपस्थित थे।